= बरसात नजदीक आने के साथ कार्य शुरू न होने से सख्ते में ग्रामीण
= बेतालघाट से शुरू हुआ विरोध
= 30 जून से नदीयों में बंद हो जाता है खनिज निकासी का कार्य
(((टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))
बरसात से ठीक पहले उत्तरवाहिनी शिप्रा व कोसी नदी के जलागम क्षेत्र में भारी भरकम पोकलैंड मशीनों से रिवर ड्रेनिंग का कार्य होने से क्षेत्रवासी सख्ते में हैं। जबरदस्त कंपन पैदा करने वाली पोकलैंड मशीनों का इस्तेमाल बरसात से पहले घातक साबित होने की आशंका भी है। सवाल उठ रहा है की आपदा को कई महीने बीतने के बावजूद बरसात से ठीक पहले नदी क्षेत्रों में पोकलैंड मशीने उतार रिवर ड्रेनिंग करना कितना सही व गलत साबित होगा। बेतालघाट क्षेत्र से लोग बकायदा विरोध में भी उतर गए है।
दरअसल बीते अक्टूबर में मूसलाधार बारिश के बाद कोसी व उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी उफान पर थी। नदी से सटे कई मकान जमींदोज हो गए वहीं कृषि भूमि को भी भारी नुकसान पहुंचा। प्रशासन ने नदी क्षेत्रो में रिवर ड्रेनिंग करने को रणनीति तैयार की। विज्ञप्ति जारी कर निविदाएं आमंत्रित भी कर दी पर आनन-फानन में निविदाएं निरस्त कर दी गई। फिर एकाएक निविदाएं आमंत्रित कर टेंडर करा लिए गए । गुपचुप ढंग से कराए गए टेंडरों पर तमाम सवाल खड़े हो चुके है। वही बरसात के नजदीक आने के साथ ही रिवर ड्रेनिंग कार्य कराए जाने पर लोग.भी सख्ते में है। जून अंतिम सप्ताह में नदी क्षेत्र में उपखनिज निकासी का कार्य बंद कर दिया जाता है पर बरसात से ठीक पहले कोसी व शिप्रा नदी में भारी भरकर मशीनें उतारा जाना समझ से परे है। बेतालघाट क्षेत्र के लोगों ने कड़ा विरोध भी जताया है। नदियों में भारी कंपन पैदा करने वाली मशीनों का इस्तेमाल खतरा बन सकता। क्षेत्रवासियों ने का आरोप है क्षेत्रवासियों का कहना है कि आपदा के बाद कार्य होना समझ में आता पर अब जब बरसात एकदम नजदीक है तब आनन फानन में कार्य कराया जाना समझ से परे है।