= कई बार उठाई आवाज पर नही हुई सुनवाई
= सुयालबाडी़ गांव का संपर्क मार्ग आपदा से हुआ था ध्वस्त
= जिम्मेदारो की अनसुनी पर ग्रामीणों में रोष
(((अंकित सुयाल/कुबेर जीना/महेंद्र कनवाल/भरत बोहरा की रिपोर्ट))
गांवो में आपदा से ध्वस्त संपर्क मार्गो की सुध न लिए जाने के बाद उपेक्षा से आहत गांवो के लोगो ने खुद ही रास्तो को दुरुस्त करने को कदम बढा़ दिए है। ग्रामीणो के फावडे़ बैलचे से रास्ता तैयार किए जाने से जिम्मेदारो की कार्यशैली पर भी सवाल खडे़ हो गए।
अक्टूबर में हुई मूसलाधार बारीश से तमाम गांवो के पहुंच मार्ग ध्वस्त हो गए। गांवो के लोगो को जान जोखिम में डाल आवाजाही करनी पड़ रही है। रात के वक्त जोखिम दोगुना बढ़ जा रहा है। ग्रामीणो का आरोप है की कई बार संपर्क मार्गो को दुरुस्त किए जाने की मांग उठाई जा चुकी है बावजूद कोई सुनवाई नही हो रही। लोगो को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कई बार आवाज उठाने के बावजूद सुनवाई न होने पर सुयालबाडी़ क्षेत्र के वासिंदो ने खुद ही गांव को दुरुस्त करने की ठान ली। ग्रामीणों ने खुद ही फावडे़ बैलचे लेकर गांव के रास्ते को दुरुस्त करने का कार्य शुरु कर दिया है। आरोप लगाया की कई बार गांव के रास्ते को दुरुस्त करने की मांग उठाई गई पर कोई सुनवाई न हो सकी। मजबूरी में खुद ही गांव के रास्ते को दुरुस्त करने का कार्य शुरु कर दिया गया।पहले चरण में रास्ते से मलबा हटाने का काम किया गया। रास्ते को दुरुस्त करने में दीपक सुयाल,कमल कर्नाटक, कैलाश सुयाल, दीप सुयाल, विपिन चंद्र सुयाल,दीपक आदि जुटे रहे।
