गरमपानी : कैची धाम में बुधवार शाम बादल आफत बनकर बरसे। जिसके चलते मलबा आने से यातायात बाधित हो गया था। विभागीय टीम ने करीब 11 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद सुबह तीन बजे सड़क से मलबा हटाया तो यातायात सुचारू हो पाया। इस दौरान ग्रामीणों ने पूरी रात दहशत में बिताई। मलबे से पेयजल लाइनें क्षतिग्रस्त होने के कारण ग्रामीणों को गुरुवार सुबह पानी की आपूर्ति नहीं हो सकी। बता दें कि बुधवार शाम करीब चार बजे भीषण बारिश शुरू हुई। करीब एक घण्टे तक चली मूलाधार बारिश के कारण शिप्रा नदी से जुड़े नाले उफान पर आ गए। पानी के साथ भारी मात्रा में मलबा राष्ट्रीय राजमार्ग पर उतर आया। जिससे यातायात पूरी तरह बाधित हो गया। वही विश्व प्रसिद्व नीम करोली महाराज मंदिर और साईं मंदिर में भारी मात्रा में मलबा घुस गया। इस दौरान क्षेत्र में दहशत का माहौल रहा। सूचना के बाद पहुंचे एसडीएम विनोद कुमार और एनएच अधिकारी बारिश रुकने के बाद राहत कार्य और सड़क से मलबा हटवाने में जुट गए। कनिष्ठ अभियंता मनोज गैड़ा ने बताया कि विभाग की ओर से मलबा हटाने के लिए दो जेसीबी मनाई गई थी। मगर अलग-अलग जगह मलबा आने के कारण क्षेत्र से दो निजी जेसीबी भी मंगानी पड़ी। चार जेसीबी की मदद से जगह जगह आया मलबा हटाया गया। जिसके बाद सुबह तीन बजे यातायात सुचारू हो पाया।
बीते 50 सालों में नहीं देखी ऐसी बारिश, ग्रामीणों में दहशत में बिताई रात
क्षेत्र में करीब एक घंटे तक हुई मूसलाधार बारिश से ग्रामीण भी दहशत में दिखे। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि बीते 50 सालों में इतनी भयानक और मूसलाधार बारिश उन्होंने कभी नहीं देखी। बारिश रुकने के बाद भी ग्रामीण पूरी रात दहशत में रहे। वही मलबे के कारण ग्रामीणों की पेयजल लाइन जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो गई है। जिस कारण गुरुवार सुबह क्षेत्र में पानी की आपूर्ति नहीं हो सकी। ग्रामीण पेयजल लाइने दुरस्त करने में जुट गए हैं।
सिर्फ दो किलोमीटर के दायरे में ही बरसी आफत
बुधवार शाम क्षेत्र ही नहीं बल्कि जिले में एक से डेढ़ घंटे तक रुक-रुक कर बारिश होती रही। मगर कैची क्षेत्र के करीब दो किलोमीटर के दायरे में ही बारिश आफत बनकर बरसी। बारिश के कारण शिप्रा नदी से जुड़े नालों में पानी के साथ भारी मात्रा में मलबा आ गया। जिससे करीब आठ जगहों पर सड़क बंद हो गयी। क्षेत्रवासियों का कहना है कि बाबा की कृपा के कारण वह सब सुरक्षित हैं। पानी और मलबा कुछ लोगों के खेतों और भवनों में तो घुसा, लेकिन इससे जान माल का अधिक कोई नुकसान नहीं हुआ।