◾ महाप्रलय में शिप्रा नदी ने लील लिए परिवार के सपने
◾ मकान, सामान सब कुछ नदी में बह चुका
◾ सरकारी दावे भी खोखले आज तक नहीं मिल सकी छत
((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))
आपदा में सब कुछ गंवा चुके आपदा प्रभावित के आंखों के आंसू अब तक नहीं सूखे है ये हालात तब है जब सरकार आपदा प्रभावितों के पुनर्वास को बडे़ बडे़ दावे करते नहीं थक रही। आपदा प्रभावित के अनुसार जमीन दिलाने तथा किराए पर रहने को किराया उपलब्ध कराने के दावे किए गए पर कुछ भी न हो सका। नेताओं व अफसरों के दावे आपदा के ज़ख्मों को हरा करने के अलावा कुछ भी नहीं कर रहे।
दो वर्ष पूर्व अक्टूबर में हुई मूसलाधार बारिश के बाद उफान में शिप्रा नदी ने स्थानीय चंदन आर्या के आवासीय मकान को चपेट में ले लिया। पलभर में जिंदगी भर मेहनत से तैयार किया गया मकान नदी के बहाव में बह गया। घर में रखे सामान तक को निकालने का समय तक नहीं मिला। सब कुछ बहता चला गया। प्रशासन व स्थानीय लोगों तथा स्वंयसेवी संस्थाओं ने कपडें, भोजन आदि की व्यवस्था की। चंदन परिवार समेत रोड पर आ गया। किराए के कमरे में रहने व किराया उपलब्ध कराने के आदेश हुए। आश्वासन मिला की जल्द ही जमीन भी उपलब्ध करा दी जाएंगी ताकि जीवन व्यापन हो सके। कुछ समय सबकुछ ठीक रहा पर अब सबने मुंह मोड़ लिया। आपदा प्रभावित चंदन के अनुसार किराया न मिलने से गरमपानी छोड़ सिमलखा गांव में टपकती छत के नीचे परिवार समेत रहना मजबूरी बन चुका है। दो वर्ष बीतने के बावजूद आज तक जमीन भी उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है। आंखो में आंसू लिए चंदन आज भी दर दर भटकने को मजबूर हैं। कई बार गुहार लगाए जाने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही। आश्वासनो के अलावा कुछ भी नसीब नहीं हो रहा। क्षेत्रवासियों ने आपदा प्रभावित परिवार को मदद उपलब्ध कराए जाने की पुरजोर मांग उठाई है। उपजिलाधिकारी कोश्या कुटोली पारितोष वर्मा के अनुसार जमीन संबंधी प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। स्वीकृति मिलने के बाद आपदा प्रभावितों को जमीन उपलब्ध कराई जाएगी। किराए संबंधी मामले का पता लगाया जाएगा।