🔳मटर का उत्पादन चौपट होने से हुआ आर्थिक नुकसान
🔳उपज प्रभावित होने से बीज का पैसा वसूल होना भी मुश्किल
🔳कभी होती थी बंपर पैदावार अब खुद के खाने को भी तरसे
🔳बारिश न होने से पौधों में रह गए महज फूल मटर नदारद

((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

इंद्रदेव के रुठ जाने से बेतालघाट ब्लॉक के सब्जी उत्पादक गांवों में ही उपज प्रभावित हो गई है। मटर की पैदावार चौपट होने से किसान मायूस हो चुके हैं। आसमान की ओर टकटकी लगा देख रहे धरतीपुत्र अपनी किस्मत पर आंसू बहाने को मजबूर हो चुके हैं। आलम यह है की कभी मटर की बंपर पैदावार के लिए पहचान रखने वाले बजेडी़ गांव के कास्तकार खुद ही मटर खाने को ही तरस गए हैं। खेतों में पौधे पर लगे महज फूल ज़ख्मों पर नमक छिड़क रहे हैं।

लंबे समय से बारिश न होने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें गहरा गई है। बेतालघाट ब्लॉक के तमाम गांव सब्जी व फल उत्पादन में खास पहचान रखते हैं पर बारिश न होने से कास्तकार निराश हो चुके हैं। पहले ही शिमला मिर्च, गोभी, टमाटर आदि की पैदावार प्रभावित हो चुकी है अब मटर की उपज चौपट होने के कगार पर पहुंच चुकी है। किसानों ने मंहगे दामों पर बाजार से बीज खरीद खेतों में हाड़तोड़ मेहनत कर बुआई की पर बारिश न होने से खेतों में पौधे मुरझा गए हैं। पौधों में फूल तो है पर मटर नदारद है। जबकि जनवरी अंतिम सप्ताह तक बाजार में मटर पहुंचने का समय है। स्थानीय कास्तकार श्याम सिंह कार्की, राजेंद्र सिंह, हीरा सिंह, मोहन सिंह, खड़क सिंह, पान सिंह, राजेंद्र सिंह आदि के अनुसार प्रतिवर्ष मटर की बंपर पैदावार होती थी। गांव का प्रत्येक किसान एक लाख रुपये से भी अधिक की मटर मंडियों को भेजते थे पर इस वर्ष खुद के खाने तक को मटर उपलब्ध नहीं है। लगातार नुकसान होने से अब खेतीबाड़ी से भी मोहभंग होता जा रहा है। किसानों ने नुकसान का मुआवजा दिए जाने की पुरजोर मांग उठाई है।