= सप्ताह भर से नलो नसे नही टपक रही पानी की बूंद
= जल संस्थान पर क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप
= क्षेत्रवासियों का सब्र देने लगा जवाब
= समीपवर्ती टूनाकोट गांव में भी हाहाकार

(((टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

खैरना क्षेत्र के वाशिंदे बूंद-बूंद पानी को मोहताज हो चुके हैं। मजबूरी में उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी का पानी पीना पड़ रहा है। आक्रोशित क्षेत्रवासियों ने जल संस्थान पर उपेक्षा का आरोप लगाया है कई बार आवाज उठाए जाने के बावजूद व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा। क्षेत्रवासियों का सब्र अब जवाब देने लगा है।
दरअसल बीते अक्टूबर में आई आपदा ने क्षेत्र की पेयजल योजना को तहस-नहस कर डाला। जल संस्थान ने बामुश्किल आपूर्ति सुचारू की पर आपदा को आठ माह बीतने के बावजूद अब तक व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो सकी है। आए दिन पेयजल संकट पैदा हो रहा है। नलों से पानी की बूंद नहीं टपक रही जिस कारण क्षेत्रवासी परेशान है। मजबूरी में शिप्रा नदी का पानी पीना पड़ रहा है जिससे बीमारी फैलने का खतरा भी बढ़ चुका है। लगातार उपेक्षा किए जाने से क्षेत्रवासियों का पारा सातवें आसमान पर है। पूर्व ग्राम प्रधान पूरन लाल साह, दिनेश बिष्ट, कैलाश कांडपाल आदि ने आरोप लगाया है कि जल संस्थान लोगों की सुध नहीं ले रहा। आए दिन परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्रवासियों ने संबंधित विभाग के तहसील स्थित कार्यालय में धरना प्रदर्शन का ऐलान किया है।

फोन तो उठाने को तैयार नहीं अधिकारी

समीपवर्ती टूनाकोट गांव में भी पेयजल को हाहाकार मचा हुआ है। क्षेंत्रवासी बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। दूरदराज स्थित प्राकृतिक जल स्रोतों से पानी ढोना पड़ रहा है।स्थानीय लोगों का आरोप है कि संबंधित विभाग को टैंकर के माध्यम से पानी की आपूर्ति किए जाने को भी कहा गया है पर विभाग अनसुनी कर रहा है जबकि गांव के लोग पानी के टैंकर भुगतान करने को भी तैयार है। विभागीय अधिकारी फोन तक नहीं उठा रहे। स्थानीय सुनील मेहरा, गोविंद सिंह, गोधन सिंह, विजय सिंह, देवेंद्र सिंह, भीम सिंह आदि ने जल संस्थान की कार्यशैली पर रोष जताया है।