= अंतेष्टि को पहुंचने वाले लोगो को करना पड़ रहा दिक्कतो का सामना
= जिम्मेदारो की नही टूट रही नींद
= क्षेत्रवासियों ने उठाई व्यवस्थाओं में सुधार की मांग
(((टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))
खैरना क्षेत्र में उत्तरवाहिनी शिप्रा व कोसी नदी के संगम तट पर स्थित शमशान घाट बदहाली का दंश झेल रहा है। अंतेष्टि को पहुंचने वाले लोग दिक्कतो का सामना करने को मजबूर है बावजूद जिम्मेदार आंखे मूंदे बैठे है। जिम्मेदारो की अनदेखी का खामियाजा तमाम गांवो के लोगो को भुगतना पड़ रहा है। उपेक्षा किए जाने से लोगो ने नराजगी जताई है।
उत्तरवाहिनी शिप्रा वह कोसी नदी के संगम तट पर स्थित शमशान बदहाल हालत में है। अक्टूबर में मूसलाधार बारिश से उफान पर आई कोसी व शिप्रा ने शमशान का नक्शा ही बदल डाला है। मुख्य मार्ग से शमशान घाट तक पहुंचने वाला रास्ता भी खस्ताहाल है। अंत्येष्टि को घाट में पहुंचने वाले लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है बमुश्किल शमशान घाट तक पहुंचा जाता है। बावजूद जिम्मेदार कुंभकरणीय नींद में है। आपदा को कई महीने बीत जाने के बावजूद शमशान घाट को दुरुस्त करने की जहमत नहीं उठाई जा रही है । बड़े-बड़े दावे व वादे करने वालों के खिलाफ क्षेत्रवासियों में गहरी नाराजगी है। कोसी व शिप्रा नदी के संगम तट पर बने पर स्थित शमशान घाट में करीब दो दर्जन से ज्यादा गांवों के लोग शव की अंतेष्टि को पहुंचते है। बदहाल स्थिति में पहुंच चुके श्मशान घाट के कारण लोगों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बारिश व नदियों के उफान में आने से मुसीबतें और बढ़ जाती हैं। बावजूद सुधार को ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे। क्षेत्रवासियों ने शमशान घाट में व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की मांग उठाई है।