= आपदा से हुए नुकसान का समुचित मुआवजा न मिलने से नाराज है किसान
= लाखों रुपए की फसल व कृषि भूमि चौपट होने के बाद दिया जा रहा बहुत कम मुआवजा
= किसानों के जख्मों पर मुआवजे के नाम पर छिड़का जा रहा नमक

(((टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

आपदा में कृषि भूमि व उपज को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति के नाम पर दिए जा रहे मुआवजे के खिलाफ क्षेत्रीय जन विकास संघर्ष समिति के सदस्यों का पारा चढ़ गया है। समिति सदस्यों ने इसे किसानों के साथ अन्याय करार दिया है जल्द ही मामले को लेकर न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की बात कही है कहा है कि सरकार किसानों के साथ न्याय नहीं कर रही जबकि किसानों के कृर्षि भूमि व उपज आपदा में चौपट हो चुकी है।
दरअसल बीते अक्टूबर में हुई मूसलाधार बारिश से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा। बेतालघाट तथा रामगढ़ ब्लॉक के किसानों को भारी नुकसान हुआ। कृषि भूमि रोखड़ में तब्दील हो गई जबकि उपज भी खेतों में ही बर्बाद हो गई। अब जब किसानों को मुआवजे की उम्मीद जगी तो नुकसान की अपेक्षा बहुत कम मुआवजा दिया जा रहा है जिससे किसानों का पर चढ़ने लगा है वहीं क्षेत्रीय जन विकास संघर्ष समिति ने भी मुआवजे पर आपत्ति की है। समिति से जुडे़ मदन मोहन सुयाल, कुबेर सिंह जीना, पंकज भट्ट, हरीश कुमार, हरीश चंद्र, वीरेंद्र बिष्ट, पंकज नेगी, मदन सिंह, सुनील सिंह आदि लोगों ने किसानों को दिए जा रहे मुआवजे को किसानों के साथ मजाक करार दिया है। समिति से जुड़े सदस्यों का कहना है कि किसानों को लाखों रुपए का नुकसान हुआ है। जबकि महज एक दो हजार रुपये मुआवजा बांट इतिश्री की जा रही है जो किसानों के साथ अन्याय है। समिति सदस्यों ने जल्द मामले को लेकर न्यायालय की शरण में जाने की बात कही है। दो टूक चेताया है कि समय रहते किसानों को उचित मुआवजा नहीं दिया गया तो फिर सरकार के खिलाफ न्यायालय की शरण ली जाएगी।