🔳 आरटीआई कार्यकर्ता ने ज्ञापन सौंप लगाई गुहार
🔳 लगातार बढ़ रहे खतरे से बड़ी अनहोनी का जताया अंदेशा
🔳 करीब दो दर्जन से अधिक लोगों के घायल होने का दिया हवाला
🔳 खेतों में उपज को बर्बाद कर नुकसान की भी दी जानकारी
🔳 शहरी क्षेत्रों से गांवों में बंदरों को छोड़ने का लगाया आरोप

[[[[[ टीम तीखी नजर की रिपोर्ट]]]]]

बेतालघाट ब्लॉक के तमाम गांवों में कटखने बंदरों के बढ़ते आंतक का मामला जिलाधिकारी तक पहुंच गया है। आरटीआई कार्यकर्ता कृपाल सिंह मेहरा ने डीएम को ज्ञापन सौंप बंदरों के बढ़ते आंतक से आए दिन ग्रामीणों के घायल होने की जानकारी दी है। भविष्य में बड़ी अनहोनी का अंदेशा जताया है। आरटीआई कार्यकर्ता ने डीएम से वन विभाग के अधिकारियों को निर्देशित कर बंदरों के आंतक से निजात दिलाए जाने की पुरजोर मांग उठाई है।

गांवों में कटखने बंदरों के बढ़ते आंतक से ग्रामीण दहशत में हैं। तल्लाकोट, मल्लाकोट व बादरकोट गांव में बंदरों का झुंड दो दर्जन से भी अधिक लोगों को घायल कर चुका है। स्कूली बच्चे, महिलाएं व बुजुर्ग बंदरों के निशाने पर हैं। आसपास के मझेडा, डोबा, नौडा, ब्यासी, गरमपानी, खैरना समेत तमाम गांवों में भी बंदरों का आंतक जोरों पर है। बंदरो के ग्रामीणों पर हमला करने से बड़ी घटना का अंदेशा बढ़ता ही जा रहा है। बुधवार को आरटीआई कार्यकर्ता कृपाल सिंह मेहरा ने जिलाधिकारी वंदना सिंह को ज्ञापन सौंप गांवों में बिगड़ रही स्थिति की जानकारी दी है। ज्ञापन के माध्यम से बताया है की लोगों पर जानलेवा हमला करने के साथ ही बंदर खेतों में उपज को बर्बाद कर दे रहे हैं जिससे किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। छोटे छोटे बच्चों पर भी बंदर हमलावर हो जा रहे हैं। आरटीआई कार्यकर्ता ने शहरी क्षेत्रों से बंदरों को गांवों में छोड़ने का आरोप भी लगाया।बताया की कई बार आवाज उठाए जाने के बावजूद सुनवाई नहीं हो रही जबकि खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। जिलाधिकारी से वन विभाग के अधिकारियों को निर्देशित कर गांवों में खतरा बन चुके कटखने बंदरों को पकड़वाने की मांग की है। अंदेशा जताया है की यदि मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया तो कभी भी बड़ी घटना सामने आ सकती है।

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