= बूंद बूंद पानी को तय कर रहे दो किमी की दूरी
= शासन प्रशासन की उपेक्षा से ग्रामीणों में नाराजगी
= तंत्र की उपेक्षा पड़ रही प्रभावितों पर भारी

(((टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

बेतालघाट ब्लॉक के सुदूर गांवों के वाशिंदे आपदा को आठ माह बीतने के बावजूद अब तक अव्यवस्थाओं का दंश झेल रहे हैं। आलम यह है कि ग्रामीणों को दो किमी दूरी तय कर तय करने के बाद भी बरसाती गधेरे का संक्रमित पानी उपलब्ध हो रहा है। मजबूरी में ग्रामीण यही पानी पीने को मजबूर हैं कई बार व्यवस्था में सुधार की मांग उठाई जाने के बावजूद कोई सुनवाई ना हो पाने से ग्रामीणों में गहरी नाराजगी भी है शासन प्रशासन की उपेक्षा का खामियाजा गांव के लोग उठा रहे हैं।
आपदा के बाद व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद करने के लाख दावे किए जाएं पर धरातल की तस्वीर दूसरी ही हकीकत बयां कर रही है। बेतालघाट ब्लॉक के जूला ग्राम पंचायत के बामाटना तोक में रहने वाले दस से ज्यादा आपदा प्रभावित आज भी आपदा की मार झेल रहे हैं। बूंदबूंद पानी को तरस रहे गांव के वाशिंदे रोजाना करीब दो किमी दूर जाकर दडिया गधेरे का पानी पीने को मजबूर हैं। संक्रमित पानी पीने से बीमारी फैलने का खतरा भी बना हुआ है बावजूद पानी का इस्तेमाल करना मजबूरी बन चुका है। स्थानीय प्रेमा देवी, ममता देवी, गीता, माया देवी, दीपा, भावना, कविता, राधा देवी, पुष्पा देवी ने आरोप लगाया है कि कई बार गांव में पेयजल व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग उठाई जा चुकी है पर कोई सुनने को तैयार नहीं है। गांव से दो किलोमीटर दूर पानी ढोना नियति बन चुकी है। ग्रामीणों ने शासन प्रशासन पर उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाया है। ग्रामीणों के अनुसार लाखों रुपये पेयजल योजनाओं पर खर्च किया जा रहा है पर गांवों की सुध नहीं ली जा रही। उपेक्षा पर नाराजगी जताई है। दो टूक चेतावनी दी है कि यदि समय रहते गांव कि पेयजल व्यवस्था दुरुस्त नहीं की गई तो फिर सड़क पर उतर आंदोलन शुरू किया जाएगा।