= 8.70 करोड़ रुपये का का प्रस्ताव जल संस्थान ने उच्चाधिकारियों को भेजा
= योजनाओं के बदहाल पड़े होने से नहीं मिल रहा ग्रामीणों को पानी
= अस्थाई रूप से हो रही जलापूर्ति वह भी नाकाफी

(((टीम तीखी की नजर की ग्राउंड जीरो रिपोर्ट)))

बेतालघाट ब्लॉक के गांवो में बूंदबूंद पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। वहीं योजनाओं को दुरुस्त करने के लिए सरकार कितनी संजीदा है इसका जीता जागता उदाहरण आपदा के सात माह बाद भी बजट नहीं मिल पाना है। आपद से छोटी-बड़ी करीब पचास से अधिक पेयजल योजनाओं को क्षति पहुंची। संबंधित विभाग ने निरीक्षण पर करीब 8.70 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भी उच्चाधिकारियों को भेजा पर बजट न मिलने से योजनाओं की मरम्मत नहीं हो पा रही। बमुश्किल अस्थाई रूप से पेयजल आपूर्ति की जा रही है जिससे ग्रामीणों को समुचित पानी नहीं मिल पा रहा। समुचित पानी ना मिलने से बेतालघाट ब्लॉक के करीब छह हजार से ज्यादा उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
दरअसल बीते अक्टूबर में हुई मूसलाधार बारिश से बेतालघाट ब्लॉक में भारी नुकसान हुआ। बिजली, पानी, सड़क आदि व्यवस्थाएं प्रभावित हुई। गांवों में स्थित पेयजल योजनाओं को भी भारी नुकसान हुआ। गरमपानी, खैरना, लोहाली, जसिया घुना, कैंची, पाडली, रातीघाट, तल्ला निगलाट, धनियाकोट, सिमलखा, बजेडी़, डाबर, ऊंचाकोर्ट, रोपा शेरा आदि पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त हुई। जल संस्थान के अधिकारियों ने निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की। करीब 8.70 करोड़ रुपये की क्षति का आकलन कर प्रस्ताव देहरादून स्थित मुख्यालय भी भेजा पर आपदा को सात माह बीत जाने के बावजूद बजट नहीं मिल सका जिस कारण योजनाएं आज भी प्रभावित हैं बमुश्किल अस्थाई रूप से गांवों में पेयजल आपूर्ति की जा रही है वह भी कई दिन ठप रहती है जिससे ब्लॉक के करीब छह हजार से ज्यादा उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सात माह बीतने के बावजूद गांव की बड़ी योजनाओं की मरम्मत ना हो पाने से तमाम गंभीर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। क्षेत्रवासियों ने इसे गांवो की उपेक्षा करार दिया है। इधर जल संस्थान के सहायक अभियंता दलीप बिष्ट के अनुसार छोटे बजट की योजनाओं को दुरुस्त किया जा चुका है। अस्थाई रूप से सभी गांवों में पेयजल व्यवस्था की गई है। बड़ी योजनाओं की मरम्मत को प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय भेजा गया है। अभी बजट नहीं मिल सका है। बजट मिलने के साथ ही बड़ी योजनाओं को भी दुरुस्त किया जाएगा।