= ढोकाने मार्ग से सुयालबाडी़ गांव को जोड़ने वाले निर्माणाधीन मार्ग पर किया श्रमदान
= देवी मंदिर तक आवाजाही को बनाया रास्ता

(((सुनील मेहरा/महेन्द्र कनवाल/अंकित सुयाल की रिपोर्ट)))

सुयालबाडी़ गांव को जाने वाले मार्ग की सुध न लेने पर आखिरकार गांव के बाशिंदे को श्रमदान कर मोटर मार्ग पर सफाई करनी पड़ी। ग्रामीणों ने देवी मंदिर तक श्रमदान कर आवाजाही के लिए रास्ता तैयार किया। उपेक्षा पर क्षेत्रवासियों ने रोष भी जताया।
दरअसल करीब पांच माह पूर्व ढोकाने मोटर मार्ग से सुयालबाडी़ गांव को जोड़ने के लिए मोटर मार्ग का प्रथम चरण का कार्य किया गया। मार्ग पर जगह-जगह मलबा गिरने से तब से आज तक रोड बंद पड़ी है। वाहन तो छोड़िए ग्रामीणों के पैदल आवाजाही तक को रास्ता नहीं बचा। जगह-जगह मलबे से पटे होने से ग्रामीण परेशान हो गए। ऐसे में अब नवरात्र के करीब आने पर रास्ते में देवी मंदिर तक पहुंच मार्ग को ग्रामीणों ने खुद ही रास्ते की सफाई करने की ठानी। श्रमदान कर जगह-जगह मलबा हटा आवाजाही के लिए रास्ता तैयार किया। ग्राम प्रधान हंसा सुयाल व गांव के वासिंदो ने उपेक्षा पर रोष जताया। कहा की निर्माण के बाद से ही मार्ग बंद है ग्रामीणों ने देवी मंदिर तक खुद श्रमदान कर लगभग एक किलोमीटर तक मलबा हटाया। इस दौरान नीरज पंत, रविंद्र कर्नाटक, लता कर्नाटक, उमेश उप्रेती, चंपा सुयाल, ख्यालीराम कर्नाटक, हरीश उप्रेती, मनोज कर्नाटक आदि ने सहयोग किया।