= जोखिम भरी है डगर, सुरक्षा कम खतरा ज्यादा
= ऐसा राष्ट्रीय राजमार्ग देखा नहीं कहीं
= राष्ट्रीय राजमार्ग के नाम पर धब्बा है अल्मोड़ा भवाली राष्ट्रीय राजमार्ग
(((ब्यूरो चीफ विरेन्द्र बिष्ट/फिरोज अहमद/सुनील मेहरा की रिपोर्ट)))
तमाम पर्वतीय जनपदों को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण अल्मोड़ा भवाली राष्ट्रीय राजमार्ग बदहाल है। हालात ऐसे हैं कि रोड में सड़क कम गड्ढे ज्यादा है। लोग जान जोखिम में डाल आवाजाही को मजबूर है। हैरत की बात यह है कि राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा होने के बावजूद इसकी सुध नहीं ली जा रही।
अल्मोड़ा भवाली राष्ट्रीय राजमार्ग तमाम दृष्टि से महत्वपूर्ण है पर लंबे समय से राजमार्ग की हालत नाजुक है। जगह-जगह बदहाल पड़े राजमार्ग की कोई सुध लेवा ही नहीं है। राजमार्ग से सटी पहाड़ियों जर्जर हालत में पहुंच चुकी हैं। लगातार पत्थर गिरने से दुर्घटना का खतरा बना रहता है पर राजमार्ग को दुरुस्त करने की जहमत नहीं उठाई जा रही।बदइंतजामी के हालात यह हैं कि आवाजाही करने वाले लोगों पर दुर्घटना का खतरा मंडरा रहा है। पहले ही बदहाली का दंश झेल रहे राष्ट्रीय राजमार्ग को बीते दिनों अक्टूबर में हुई मूसलाधार बारिश ने और नुकसान पहुंचाया है पर राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा होने के बावजूद राजमार्ग ग्रामीण मोटर मार्ग से भी बुरी हालत में है। आवाजाही करने वालों लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन चुके राष्ट्रीय राजमार्ग पर आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। उसके बाद भी राजमार्ग की सुध नहीं ली जा रही।करोड़ों रुपए का प्रस्ताव सड़क व भूतल मंत्रालय को भेजा जा चुका है पर मरम्मत की फाइल धूल फांक रही है। बदहाल राजमार्ग पर ही लोग जान हथेली पर रख आवाजाही को मजबूर है। ऐसा नहीं कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर पहली बार आपदा ने कहर बरबापा है। वर्ष 2010 में भी राजमार्ग को आपदा ने भारी नुकसान पहुंचाया था पर उसके बाद राजमार्ग को नया स्वरूप दिया गया। बेहतर राजमार्ग तैयार किया गया पर अब विभागीय हीलाहवाली से राजमार्ग बद से बदतर हालत में पहुंच चुका है।