🔳 हाईवे पर खीनापानी स्थित धर्मशाला के जीर्णोद्धार का कार्य हुआ पूरा
🔳 27 अप्रैल को विशेष पूजा अर्चना के साथ होगा पहले वार्षिकोत्सव का शुभारंभ
🔳 जसुली बूढ़ी शौक्याणी धर्मशाला जीर्णोद्धार एवं प्रबंधन समिति के तत्वावधान में होंगे विभिन्न कार्यक्रम
🔳 सांस्कृतिक व पारंपरिक विरासत को संजोय रखने को भविष्य की कार्ययोजना पर होगी चर्चा
[[[[[[[[[[ टीम तीखी नजर की रिपोर्ट ]]]]]]]]]]]
अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर खीनापानी क्षेत्र में स्थित दानवीर जसुली देवी धर्मशाला के जीर्णोद्धार का कार्य पूरा हो जाने पर जसुली बूढ़ी शौक्याणी धर्मशाला जीर्णोद्धार एवं प्रबंधन समिति पहले वार्षिकोत्सव की तैयारियों में जुट गई है। 27 अप्रैल को होने वाले कार्यक्रमों की रुपरेखा भी तैयार कर ली गई है। समिति अध्यक्ष फली सिंह दताल के अनुसार विशेष पूजा अर्चना के साथ कार्यक्रम का श्रीगणेश होगा। सांस्कृतिक व पारंपरिक विरासत को संजोय रखने को भविष्य की कार्ययोजना पर चर्चा भी की जाएगी।
पिथौरागढ़ की दारमा घाटी के दांतू गांव की रहने वाली जसुली शौक्याणी के पति की मृत्यु के बाद उनके इकलौते पुत्र की भी मौत हो गई। बड़े व्यापारिक घराने से ताल्लुक रखने वाली जसुली देवी पति व बेटे की मौत से बुरी तरह टूट गई। हताशा से घिरी जसुली शौक्याणी ने सोना, चांदी व असरफिया नदी में बहा देने का निर्णय लिया। क्षेत्र में कैंप कर रहे जनरल रैमजे ने शौक्याणी को इस संपत्ति को जनसेवा में लगाने का सुझाव दिया। बताते हैं की जसुली देवी ने करीब 170 वर्ष पूर्व दारमा घाटी से हल्द्वानी भोटिया पड़ाव तक सैकड़ों धर्मशालाओं का निर्माण करवाया। समय बीतने व देखरेख के अभाव में धर्मशालाएं बदहाल होती चली गई। अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर खीनापानी क्षेत्र में स्थित बदहाल धर्मशाला को करीब दो वर्ष पूर्व जसुली बूढ़ी शौक्याणी धर्मशाला जीर्णोद्धार एवं प्रबंधन समिति ने दुरुस्त करने का बीड़ा उठाया। तत्कालीन कुमाऊं आयुक्त अरविंद ह्याकी ने भी ऐतिहासिक विरासत को संजोय रखने को गंभीरता से कदम बढ़ाए। बकायदा खीनापानी पहुंचकर स्थलीय निरीक्षण कर विभागीय अधिकारियों को निर्देशित भी किया। जीर्णोद्धार का कार्य पूरा हो जाने के बाद अब जसुली देवी धर्मशाला को भव्य रुप दिया गया है। तीन मंजिला धर्मशाला में कई कमरों को पुरातन रुप में ही दुरुस्त किया गया है। 27 अप्रैल को होने वाले वार्षिकोत्सव में सुबह पारंपरिक रिती रिवाजों व विधी विधान के साथ पूजा अर्चना के बाद धर्मशाला का अवलोकन किया जाएगा। दूसरे सत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बाद अब तक के कार्यों पर चर्चा के साथ ही भविष्य की रुपरेखा भी तैयार की जाएगी। जसुली बूढ़ी शौक्याणी धर्मशाला जीर्णोद्धार एवं प्रबंधन समिति के अध्यक्ष व दानवीर जसुली शौक्याणी के वंशज फली सिंह दताल के अनुसार पर्यटन गतिविधियों बढ़ाने तथा धर्मशाला की देखरेख व पौराणिक संस्कृति को संरक्षित रखने के लिए विशेष कदम उठाए जाएगी। कई अन्य क्षेत्रों में भी धर्मशालाओं को खोजा जा रहा। धर्मशालाएं मिलने पर उनका भी जीर्णोद्धार किया जाएगा।