= कभी किसी दल की तो कभी किसी दल की सवारी कर रहे नेता
= चुनाव के बाद खुद को ठगा महसूस कर रही जनता
= कार्यकर्ताओं के लिए भी असमंजस की स्थिति
= चुनाव आते ही नेताओं के बदल जा रहे दल, जनता की अदालत से फैसला आना बाकी

(((गरमपानी डेस्क की रिपोर्ट)))

प्रदेश में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हुई है। दल बदलने में माहिर दावेदारों ने तेजी से दल बदलने के साथ टिकट भी हासिल कर लिया है। सत्ता के संग्राम में उतरने को प्रत्याशी तैयार है पर गांव की समस्या आज भी जस की तस होने से गांव के लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। वही पाला बदलने वाले नेताओ से पार्टी के कार्यकर्ता भी असमंजस की स्थिति में है। अब देखना रोचक होगा कि जनता जनार्दन क्या फैसला देती है।
विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों की सूची जारी होने के साथ ही नांमाकन प्रक्रिया भी शुरु हो चुकी है। कई विधानसभा सीटो पर बगावत के सुर बुंलद है। हालांकि सभी राजनीतिक दल डैमेज कंट्रोल में जुटे हुए है।अपनो को मनाने की तैयारी भी शुरु हो चुकी है। वहीं दल बदलने वाले नेता भी चुनाव जितने की जुगत में जुट गए है। कभी दूसरे दल की नितियों को कोसकर जनता का अहित करने का आरोप लगाने वाले नेता आज उसी दल से बतौर प्रत्याशी मैदान में है। दूसरा दल छोड़कर प्रत्याशी को लेकर तमाम कार्यकर्ता भी असमंजस की स्थिति में है। दल को कोसने वाले ही प्रत्याशी का प्रचार करना मजबूरी बन चुका है। पर सबसे बड़ी बात यह है कि जनता अभी साइलेंट मोड पर है वह आसानी से पत्ते खोलने के मूड में ही नहीं दिख रही। इतना रोचक होगा कि जनता की अदालत से क्या फैसला सामने आता है।