= बारह बरस बीते पर नहीं हो सका गांव की सड़क पर डामरीकरण
= ग्रामीणों का चढ़ते जा रहा पारा
= जल्द डामरीकरण ना करने पर आंदोलन का ऐलान


(((विरेन्द्र बिष्ट की रिपोर्ट)))

डामरीकरण की राह देखते-देखते बारह बरस बीत गए पर आज तक डामरीकरण ना हो सका। मजबूरी में ग्रामीण जान जोखिम में डाल आवाजाही को मजबूर है। ऐसा नहीं कि नेता व अधिकारियों को मामले की जानकारी नहीं पर बारह वर्ष बीतने के बावजूद आज तक मोटर मार्ग पर डामरीकरण नहीं हो सका है।
जी हां बात हो रही है रानीखेत खैरना मोटर मार्ग से तमाम गांवों को जोड़ने वाले बजोल कनार मोटर मार्ग की। बारह वर्ष पूर्व तमाम गांवों को सड़क सुविधा से जोड़ने के लिए लाखों रुपए की लागत से मोटर मार्ग तैयार किया गया पर मोटर मार्ग आज भी डामरीकरण को तरस रहा। ग्रामीण कई बार मोटर मार्ग पर डामरीकरण की मांग उठा चुके हैं पर कोई सुनवाई नहीं हो रही। बजोल,खुडोली, मंगडोली, गाड़ीचौना, कुलनाखेत आदि तमाम गांवों के लोग इसी मार्ग से आवाजाही करते हैं पर मोटर मार्ग के खस्ताहाल होने से हमेशा दुर्घटना का खतरा बना रहता है पर कोई सुध लेवा नहीं है मोटर मार्ग की दयनीय हालत किसी से भी छुपी नहीं पर कोई भी मोटर मार्ग पर डामरीकरण की सुध नहीं ले रहा। गांव के लोगों ने संबंधित विभाग पर भी उपेक्षा का आरोप लगाया है। स्थानीय दीपक मेहरा, बालम सिंह करायत, चंदन सिंह, गोपाल सिंह, प्रकाश राम, नैन सिंह आदि लोगों ने मोटर मार्ग पर डामरीकरण की मांग उठाई है। चेतावनी दी है कि यदि जल्द मोटर मार्ग पर डामरीकरण नहीं किया गया तो आंदोलन शुरू किया जाएगा।