= बदलते घटनाक्रम से आम मतदाता व कार्यकर्ता परेशान
= विधानसभा चुनाव के करीब आने के साथ ही नए-नए दांवपेच शुरू
= चुनावी शतरंज में पाला बदल रहे खिलाड़ी

(((टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

कहीं खुशी कहीं गम वाकई यह शब्द आम जनमानस के लिए बिल्कुल सटीक बैठता है। नेताओं के बदलते पाले से आमजन परेशान हैं। कार्यकर्ता विशेष पार्टी का प्रचार प्रसार करने के बाद एकाएक बदलते समीकरण से अब वह किसका प्रचार करें यह बड़ा धर्मसंकट है। किस पार्टी के लिए जनता के बीच वोट मांगे यह बड़ा विरोधाभास। पर इतना साफ है कि यह जनता है सब जानती है।
चुनावी सरगर्मी बढ़ने के साथ ही चुनावी पारा भी चढ़ने लगा है। विधानसभा चुनाव के करीब आने के साथ ही दल बदल कार्यक्रम भी शुरू हो गया है। कोई भाजपा तो कोई कांग्रेस का दामन थाम रहा है। कोई आम आदमी पार्टी तो कोई बसपा व उक्रांद की मजबूती के लिए पार्टी की सदस्यता ले रहा है। कई सत्ता सुख के लिए पाला बदल रहे हैं तो कोई आने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट की दावेदारी को अलग-अलग पार्टियों का दामन थाम रहे हैं पर सबसे बड़ी विडंबना कार्यकर्ता व आमजन के लिए खड़ी हो रही है कल तक किसी एक पार्टी के लिए वोट मांगने वाले अब फिर किसी दूसरी पार्टी के लिए वोट मांगने के लिए जनता के बीच जाएंगे। कल तक जिस पार्टी के नेता एक दूसरे की आंखों की किरकिरी थे आज वही एकजुट दिखाई देने का प्रयास कर रहे हैं। मतलब साफ है कि किसी भी तरह सत्ता तक पहुंचना है। लगातार बदलते समीकरणों के बीच आम जन का साफ कहना है कि आखिरकार वह जाएं तो जाएं कहां। कुछ लोग साफ बोल भी रहे हैं कि आज तक उनका इस्तेमाल ही किया जा रहा है। बहरहाल जो भी है पर इतना साफ है कि उत्तराखंड में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम आने वाले समय में पड़ी उठापटक की ओर इशारा कर रहे हैं।