◼️ महत्वपूर्ण पुल की उपेक्षा पर लोगो में नाराजगी
◼️ पुल के रैंप पर मंडरा रहे खतरे को हल्के में ले रहे अफसर
◼️क्षेत्रवासियों ने उठाई ठोस उपचार की मांग

((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

ऐतिहासिक व सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रानीखेत पुल को लेकर अफसर कितने संजीदा है इसका जीता जागता उदाहरण पुल पर हो चुके गड्ढे को छुपाने के लिए रखे गए पत्थर है। पुल के रैंप पर हुए गड्ढे को ढकने के लिए पत्थरों का ढेर लगा दिया गया है। क्षेत्रवासियों का आरोप है कि महत्वपूर्ण पुल की ऐसी अनदेखी अधिकारियों की लापरवाही की हकीकत बयां कर रही है। लोगों ने पुल के रैंप पर मंडरा रहे खतरे को टालने के लिए ठोस उपाय किए जाने की पुरजोर मांग उठाई है।
तमाम पर्वतीय क्षेत्रों के साथ ही रानीखेत स्थित कुमाऊँ रेजिमेंटल सेंटर को जोड़ने वाली खैरना के समीप कोसी नदी पर बनी ब्रितानी दौर कि रानीखेत पुल के रैंप पर एक हिस्सा धंसाव की जद में आ गया है। गड्ढा होने से पुल के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है पर अफसर अनदेखी पर आमादा हैं। अभी नया पुल निर्माणाधीन है फिलहाल इसी पुल से आवाजाही जारी है पर विभागीय अफसर लापरवाही बरत रहे हैं। पुल के रैंप पर हो चुके गड्ढे को दुरुस्त करने के बजाए गड्ढे को छुपाने के लिए पत्थर रख इतिश्री कर दी गई है। क्षेत्रवासियों ने अफसरों की लापरवाही पर नाराजगी जताई है। आरोप लगाया है कि धंसाव की जद में आ रहे हिस्से को दुरुस्त करने के बजाय पत्थर रख उसे छुपाया जा रहा है। व्यापारी नेता दीपक बिष्ट, बिशन जंतवाल, विरेंद्र सिंह बिष्ट, गजेंद्र नेगी, कुबेर सिंह जीना, महिपाल सिंह बिष्ट, फिरोज अहमद, अभिषेक बिष्ट, पंकज भट्ट, भीम सिंह, हरीश कुमार, पंकज नेगी, हरीश चंद्र, शेखर दानी दलीप सिंह नेगी आदि ने पुल पर मंडरा रहे खतरे को टालने के लिए ठोस उपाए किए जाने की पुरजोर मांग उठाई है।