जापानी विशेषज्ञ पहुंचे पाडली, बीमार पहाड़ी के जाने हालात
= पहले चरण में हाईवे का 130 मीटर लंबाई में रुट बदलने का काम शुरु
= कार्यदाई संस्था के अधिकारियों से की विभिन्न बिंदुओं पर की चर्चा
= गुणवत्ता युक्त कार्य करने के साथ ही विशेष तकनीक का इस्तेमाल करने के निर्देश
(((टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))
अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर स्थित अतिसंवेदनशील पाडली की पहाड़ी में जापानी तकनीक से होने वाले कार्य की शुरुआत हो गई है पहले चरण में उक्त स्थान पर करीब 130 मीटर लंबाई क्षेत्र में हाईवे का रूट बदलने का काम शुरू हो गया है तीन सदस्य जापानी विशेषज्ञों की टीम ने कार्यदाई संस्था के कर्मचारियों के साथ तमाम बिंदुओं पर चर्चा की साथ ही पहले दूसरे व तीसरे व चौथे चरण में होने वाले कार्यों का फीडबैक लिया। जापानी विशेषज्ञों ने गुणवत्ता युक्त कार्य के निर्देश देने के साथ ही अब तक हुए कार्यों की जानकारी जुटाई।
मंगलवार को हाईवे पर पाडली क्षेत्र में खतरनाक हो पहाड़ी की मरम्मत को जापानी तकनीक से करीब16 करोड़ रुपये की लागत से होने वाले कार्यो का फीडबैक लेने तीन सदस्ययी जापानी विशेषज्ञों का दल पाडली पहुंचा। प्रोजेक्ट के टीम लीडर उमेश जोशी की अगुवाई में जापानी टीम के मुखिया इजिमा, इंजीनियर गोडो व इंजीनियर आओकी ने कार्यदाई संस्था एमएफ बूमि के अधिकारियों के साथ पहाड़ी पर जापानी तकनीक से किए जाने वाले कार्यों पर विस्तार से चर्चा की। जापानी विशेषज्ञों ने पहले चरण में हाईवे के 130 मीटर रूट बदलने के लिए हो रहे कार्यों की जानकारी जुटाई। मौके पर पहुंच स्थलीय निरीक्षण किया। कार्यदाई संस्था के अधिकारियों को समय पर कार्य पूरे करने तथा अब तक के कार्यों में मौजूदा कर्मचारियों, इंजीनियरो के विषय में फीडबैक ले आवश्यक दिशा निर्देश दिए। टीम लीडर उमेश जोशी के अनुसार विशेष तकनीक से किए जाने वाले कार्य जापानी विशेषज्ञों की निगरानी में ही किया जा रहा है। टीम लीडर के अनुसार रूट बदलने के बाद पहाड़ी पर कार्य शुरू होगा।
हाईटेक तकनीक का मॉडल बनेगी पहाड़ी
पाडली की पहाड़ी से खतरा टालने को तीन चरणों में कार्य होगा। पहले चरण में पहाड़ी पर सीमेंट की जाल नुमा चट्टान तैयार की जाएगी। दूसरे चरण में पहाड़ी पर मजबूत चट्टान तक करीब 40 से 50 मीटर गहराई तक लोहे के एंगल फिट होंगे।अंतिम चरण में सुरक्षा दीवार व तेजी से फैलने वाली घास व पौधों का रोपण किया जाएगा ताकि पहाड़ी को दोबारा प्राकृतिक रूप दिया जा सके। पहाड़ी पर जापानी तकनीक से होने वाले कार्यों के लिए पिछले तीन वर्षों से कवायद जारी है पर कोरोना काल में कार्यों को गति नहीं मिल सकी अब तेजी से कार्य शुरू किया गया है