🔳गुलदार एक के बाद एक कर रहा मवेशियों का शिकार
🔳पशुपालकों ने बैंकों से ऋण लेकर शुरु किया है पशुपालन का कार्य
🔳मवेशियों के मारे जाने से कर्ज में डूबे पशुपालक
🔳ग्रामीणों ने पशुपालकों को उचित मुआवजा दिए जाने पर दिया जोर
((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))
गांवों में खेती-बाड़ी चौपट होने के बाद अब पशुपालन भी संकट गहरा गया है। गुलदार मवेशियों को मार डाल रहा है जिससे पशुपालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। समीपवर्ती बजोल, बमस्यूं, डौरब, बजीना गांव में गुलदार के एक के बाद एक मवेशी को ढेर कर दिए जाने से पशुपालक चिंता में है। पशुपालकों ने पिंजरा लगा गुलदार के आंतक से निजात दिलाने की मांग वन विभाग से की है।
खैरना – रानीखेत स्टेट हाइवे पर ताड़ीखेत ब्लॉक के तमाम गांवों में गुलदार की घुसपैठ चिंता का कारण बन गई है। गुलदार के आबादी के नजदीक तक पहुंचने से बड़ी घटना का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। पिछले कुछ दिनों में ही गुलदार ने बजोल, बमस्यूं, बजीना व डौरब आदि गांवों में कई गोवंशीय पशु व बकरियों को निवाला बना डाला है। घरों के आंगन से कुत्तों को उठाकर ले जाने की घटनाएं भी तेजी से बढ़ती जा रही है। एक के बाद एक मवेशी के मारे जाने से पशुपालक परेशान हैं। पशुपालकों ने बैंकों से ऋण लेकर पशुपालन का कार्या शुरु किया पर अब गुलदार के मवेशियों को मार डालने से पशुपालकों को दोतरफा नुकसान उठाना पड़ रहा है। गुलदार के आबादी तक पहुंचने से अनहोनी का अंदेशा भी बढ़ गया है। ग्रामीणों ने प्रभावित पशुपालकों को उचित मुआवजा उपलब्ध कराने पर जोर दिया है। ग्रामीणों के अनुसार खेतीबाड़ी पहले ही चौपट हो चुकी है अब गांवों में आजिविका का एकमात्र साधन पशुपालन भी प्रभावित होता जा रहा है। स्थानीय आंनद सिंह, बचे सिंह, गोपाल सिंह, पूरन देव, बालम मेहरा, कुंदन सिंह, महेंद्र देव, चंदन सिंह, राजेंद्र सिंह, दीपक मेहरा, प्रदीप आदि ने गुलदार के आंतक से निजात दिलाने ठोस उपाय किए जाने की मांग वन विभाग से की है।