🔳 महत्वाकांक्षी योजना की दुर्दशा से गांवों में हालात विकट
🔳 भरपूर बजट खर्च होने के बावजूद नलों से नहीं टपक रही पानी की बूंद
🔳 अब योजनाओं की पड़ताल को केंद्र ने गठित की विशेष टीमें
(((((((( सुरेश उपाध्याय की कलम से )))))))

नई दिल्ली : किसी महत्वाकांक्षी योजना का सत्यानाश कैसे किया जाता है, अगर यह जानना हो तो एक नजर जल जीवन मिशन पर डाल लीजिए। इस योजना में तकरीबन हर राज्य में खासा भ्रष्टाचार होने की खबरें आ रही हैं। इस 26 अप्रेल को जब उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में इस योजना के तहत तीन करोड़ रुपये की लागत से बनी ओवरहेड टंकी टेस्टिंग के दौरान फट गई तो धमाके की आवाज पीएमओ तक भी पहुंची। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐक्शन मोड में आए और उनके आदेश पर इस योजना में हुए काम की जांच के लिए सौ टीमें गठित कर दी गई हैं। ये टीमें सभी राज्यों में जाकर योजना की पड़ताल करेगी। जांच की जाएगी कि इस योजना के लिए दिए गए करोड़ों रुपये का सही इस्तेमाल हुआ कि नहीं।
जल मिशन एक बेहद महत्वाकांक्षी योजना है। इसका मकसद देश के हर घर तक नल से पानी पहुंचाना था, लेकिन ज्यादातर राज्यों में इस मद में दिए गए पैसे का भारी दुरुपयोग हुआ। इन राज्यों में राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड आदि प्रमुख हैं। कई जगह पानी के नल तो पहुंचा दिए गए, लेकिन पानी नहीं पहुंचा। कई जगह पानी के स्रोत की पहचान किए बगैर पाइप बिछा दिए गए और टंकियां बना दी गईं। उत्तराखंड के नैनीताल जिले और गढ़वाल में इस योजना में भारी गड़बड़ी किए जाने के आरोप हैं। यहां करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद लोग पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं।
उत्तराखंड जैसा ही हाल देश के बिहार, झारखंड, राजस्थान, यूपी, मध्य प्रदेश, उत्तर-पूर्व और कई अन्य राज्यों में भी है। राजस्थान के तो एक करोड़ दो लाख घरों में से करीब 22 लाख घरों में ही नल का पानी पहुंचा है। बहुत से राज्यों में खानापूरी के नाम पर पानी के कनेक्शन तो घरों में दे दिए गए हैं, लेकिन पानी आमतौर पर नहीं आ पाता। पानी की पाइप लाइनों का रखरखाव भी सवालों के घेरे में है। यूपी में 2022 में तत्कालीन जल शक्ति राज्यमंत्री दिनेश चंद्र खटीक ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को अपना इस्तीफा भेज दिया था। अपने इस्तीफे में उन्होंने अन्य कई मामले उठाने के साथ ही राज्य में जल जीवन मिशन में भारी घोटाले का आरोप लगाया था।
जल जीवन मिशन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर 15 अगस्त 2019 को शुरू किया गया था। योजना के मुताबिक, 2024 तक देश के हर ग्रामीण घर में पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। अब इस मिशन को 2028 तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
गोवा देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां सबसे पहले हर ग्रामीण घर में नल से पानी पहुंच गया, लेकिन कई अन्य राज्यों में पानी की कमी, अव्यवस्था और भ्रष्टाचार के कारण अगर घरों में नल भी पहुंचे तो नियमित रूप से पानी नहीं पहुंच रहा है। कागजों में भले ही कहानी कुछ और भी हो सकती है, लेकिन एक बेहद अहम और महत्वाकांक्षी योजना अपने मूल लक्ष्य को हासिल नहीं कर पा रही है। सरकार ने कुछ अर्सा पहले सांसदों, विधायकों से इस योजना से जुड़ने को कहा था, ताकि इसे सफल बनाया जा सके। 2022-23 के केंद्रीय बजट में इस मिशन के लिए 60 हजार करोड़ रुपये मंजूर किए गए। इस वित्त वर्ष में इस स्कीम पर 67 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस योजना का कुल व्यय 3.60 लाख करोड़ रुपये तय किया गया है।

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