🔳 जगह जगह भूस्खलन से आवाजाही हुई खतरनाक
🔳 गांवों के लोग भी जान जोखिम में डाल आवाजाही को हुए मजबूर
🔳 भूस्खलन से कई विशालकाय पेड़ भी गिरताऊ हालत में पहुंचे
🔳 सहायक अभियंता बोले – की जा रही निगरानी, खतरा टालने को करेंगे प्रस्ताव तैयार
🔳 आठ किलोमीटर बनकर तैयार हो चुका है सैनिटोरियम पाडली बाइपास
[[[[[[[[[[[ टीम तीखी नजर की रिपोर्ट ]]]]]]]]]]]]]]

अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे व कैंची क्षेत्र में जाम की समस्या खत्म करने को बाइपास निर्माण की कवायद भले ही तेज हो गई है पर वर्तमान में आठ किमी तैयार किए जा चुके बाइपास में जगह जगह दरक रही पहाड़ी भविष्य में बड़े खतरे की ओर इशारा कर रही है। कई स्थानों पर पहाड़ी से हो रहा भूस्खलन से आवाजाही खतरनाक हो चुकी है। आसपास के गांवों के लोग भी जान जोखिम में डाल आवाजाही को मजबूर हैं।
जाम की समस्या से निपटने को भले ही राज्य सरकार से मिले करोड़ों रुपये के बजट से आठ किमी सैनिटोरियम – पाडली बाइपास का निर्माण किया जा चुका है और शेष दस किमी निर्माण के लिए भी सभी आपत्तियों को दूर कर कवायद तेज की जा चुकी है पर आठ किमी तैयार किए जा चुके बाइपास में जगह जगह दरक रही पहाड़ियां भविष्य में बड़े खतरे की ओर इशारा कर रही है। पहाड़ी के दरकने से की विशालकाय पेड़ तक गिरताऊ हालत में पहुंच चुके हैं जिससे वर्तमान में ही आवाजाही काफि खतरनाक हो चुकी है। आठ किमी सड़क में कई स्थानों पर खतरा बरकरार है। आसपास के गांवों के लोग भी जान हथेली पर रख आवाजाही को मजबूर हो चुके हैं। क्षेत्रीय जन विकास संघर्ष समिति अध्यक्ष मनीष तिवारी, गजेंद्र सिंह, गोविन्द सिंह नेगी, विरेन्द्र सिंह, पंकज नेगी, सुनील मेहरा, कुलदीप सिंह आदि ने समय रहते खतरा टालने को दरक रही पहाड़ियों के उपचार को ठोस उपाय किए जाने की मांग उठाई है ताकि भविष्य में बाइपास से आवाजाही सुरक्षित हो सके। लोनिवि के सहायक अभियंता प्रकाश चंद्र उप्रेती के अनुसार बाइपास की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। जिन स्थानों पर पहाड़ी से भूस्खलन हो रहा है वहां सुरक्षात्मक कार्य करवाए जाने को प्रस्ताव तैयार किया जाएगा।

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