🔳 वर्षों से चली आ रही परंपरा का पालन कर रहे गांव के लोग
🔳 खुली बैठक कर सर्वसम्मति से चुना लेते हैं मुखिया
🔳 इस वर्ष भी आपसी सहमति से ही ग्राम प्रधान चुना जाना तय
🔳 ग्रामीणों की समझदारी से बचता है चुनावी खर्च
[[[[[[[[[[ टीम तीखी नजर की रिपोर्ट ]]]]]]]]]]]]

पंचायत चुनावों की सरगर्मी के बीच जहां गांव गांव प्रत्याशी समीकरण बनाने में जुटे हुए हैं वहीं बेतालघाट ब्लॉक का तल्ला बर्धो गांव में चुनावी चर्चा तक नजर नहीं आ रही। इसका कारण भी खास है। आजादी के बाद से आज तक गांव में कभी ग्राम प्रधान का चुनाव ही नहीं हुआ। सर्वसम्मति से ग्रामीण गांव की सरकार गठित कर मुखिया चुन लेते हैं। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। बुजुर्ग, युवा, मातृशक्ति सर्वसम्मति से प्रधान को चुन लेते हैं। चुनाव न होने गांव में हमेशा सौहार्द का माहौल भी बना रहता है। तल्ला बर्धो गांव की पूरे बेतालघाट ब्लॉक में मिशाल भी दी जाती है।
शहीद बलवंत सिंह भुजान बर्धो मोटर मार्ग पर कोसी नदी किनारे बसे तल्ला बर्धो गांव में आजादी के बाद से आज तक कभी ग्राम प्रधान का चुनाव ही नहीं हुआ। वर्षों से चली आ रही परंपरा को आज भी गांव के लोग पुरी सिदत से आगे बढ़ा रहे हैं। प्रत्येक पांच साल के लिए चुने जाने मुखिया के लिए गांव में खुली बैठक होती है‌ गांव के बुजुर्ग, महिलाएं व युवा सर्वसम्मति से मुखिया चुन लेते हैं। निवर्तमान ग्राम प्रधान गीता मेहरा के अनुसार गांव में आज तक कभी ग्राम प्रधान का चुनाव नहीं हुआ। न प्रचार होता है न कोई जोर आजमाइश। बस सर्वसम्मति से निर्णय होता है। भाजपा किसान मोर्चा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य दिलिप सिंह बोहरा के अनुसार चुनाव न होने चुनावों में खर्च होने वाला बजट भी बचता है। सर्वसम्मति से प्रधान का चयन होने से गांव में हमेशा सौहार्द का माहौल रहता है। स्थानीय हरेंद्र सिंह मेहरा के अनुसार सरकार ने चुनाव में खर्च होने वाले बजट को गांव के विकास के लिए उपलब्ध कराना चाहिए। स्थानीय प्रदीप मेहरा, संजय मेहरा, अजय कुमार, संजय बिष्ट, पुष्कर मेहरा, हरीश मेहरा, हेमा देवी, शोभा देवी, भूमिका मेहरा, चंदन मेहरा, गोपाल सिंह के अनुसार इस वर्ष भी वर्षों से चली आ रही परंपरा को निभाकर सर्वसम्मति से ही ग्राम प्रधान चुना जाएगा।

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