🔳नदी के बहाव से रतौडा पुल की बुनियाद को बढ़ रहा खतरा
🔳चार वर्ष पूर्व भी बाढ़ पहुंचा चुकी है भारी नुकसान
🔳पुल की सुरक्षा को ठोस उपाय न किए जाने से लोगों में नाराजगी
🔳पुल को नुकसान से तमाम गांवों को आवाजाही ठप होने का अंदेशा
🔳महिनों के जनांदोलन के बाद हुआ है करोड़ो रुपये के बजट से सेतू का निर्माण

((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट))))

मूसलाधार बारिश से नदी नालों के उफान में आने से सड़कों व पुलों को नुकसान पहुंचने लगा है। कोसी नदी का बहाव तेज होने से महत्वपूर्ण रतौडा पुल भी खतरे की जद में आ गई है। नदी का पानी पुल की खोखली होती जा रही बुनियाद के नजदीक तक पहुंच गया है। वर्ष 2021 की आपदा में भी पुल की बुनियाद को नुकसान पहुंचा था। कोसी घाटी जन विकास संघर्ष समिति व स्थानीय ग्रामीणों ने समय रहते पुल के आसपास मजबूत बाढ़ सुरक्षा कार्य न करवाए जाने पर रोष जताया है। विभागीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं।

बेतालघाट ब्लॉक मुख्यालय समेत तमाम गांवों को जोड़ने के लिए स्थानीय लोगों के लंबे आंदोलन के बाद बामुश्किल रतौडा क्षेत्र में कोसी नदी पर करोड़ों रुपये के पुल का निर्माण किया गया। पुल के अस्तित्व में आने से तमाम गांवों के बाशिंदों को लाभ मिला साथ ही किसानों को भी उपज को पुल के रास्ते हाइवे तक पहुंचाने में मदद मिली। वर्ष 2021 में कोसी नदी के रौद्र वेग ने पुल के आसपास बने बाढ़ सुरक्षा कार्यों को तहस नहस कर डाला। बुनियाद के आसपास भी काफि नुकसान पहुंचा। पुल की बुनियाद पर हुए नुकसान का मामला क्षेत्रवासियों ने जिलाधिकारी वंदना सिंह के सामने भी प्रमुखता से उठाया। उम्मीद थी की समय रहते पुल के अस्तित्व को बचाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे पर मामले को गंभीरता से नही लिया गया। बीते कई दिनों से हो रही बारिश से अब एक बार फिर कोसी नदी का जलस्तर बढ़ने से पुल के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। नदी के थपेड़े पुल की बुनियाद के नजदीक तक पहुंचने लगा है जिससे सेतू की बुनियाद को नुकसान पहुंचने का अंदेशा बढ़ता ही जा रहा है। स्थानीय कुबेर सिंह के अनुसार यदि पुल को नुकसान पहुंचता है तो तमाम गांवों को आवाजाही ठप हो जाएगी। कुबेर सिंह ने पुल को लगातार पहुंच रहे नुकसान को गंभीरता से न लिए जाने पर नाराजगी भी जताई। रतौडा गांव के बाशिंदों के अनुसार जिलाधिकारी के सामने भी मामले को प्रमुखता से उठाया गया बावजूद अनदेखी कर दी गई है। स्थानीय धन सिंह मेहरा, कैलाश सिंह, माधव सिंह, शिवचरण सिंह, पूरन सिंह, चंदन सिंह, महेंद्र सिंह, बचे सिंह, महेश सिंह दरमाल, दीवान सिंह, जितेन्द्र मेहरा, रमेश मेहरा, केदार सिंह, जीवन सिंह दरमाल ने महत्वपूर्ण सेतू को बचाने के लिए ठोस कदम उठाए जाने की पुरजोर मांग उठाई है। साफ कहा की अनदेखी कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।