◾ सूअरों के आंतक से परेशान किसानों ने अपनाया नया तरीका
◾ ऊंचाई से कनस्तर पर पानी गिरने से गूंज रही आवाज से भाग रहे जानवर
◾रात में खेतों में जगराता करने से मिली मुक्ति
((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))
गांवों में जंगली जानवरों से खेती बचाने को कास्तकार नए नए तरीके इस्तेमाल करने में जुटे हुए हैं। समीपवर्ती धारी गांव में फिल्मी गाने जंगली जानवरों को भगाने का जरिया बनने के बाद अब बारगल, कफूल्टा, जजूला, गरजोली गांव में पानी की धार जंगली सूअरों से खेती बचाने में इस्तेमाल हो रही है। किसानों के अनुसार काफी हद तक यह तकनीक कारगर साबित हो रही है।
किसान हाड़तोड़ मेहनत कर खेतीबाड़ी कर रहे हैं पर जंगली जानवर खेतों को रौंद मेहनत पर पानी फेर दे रहे हैं। लगातार खेतों को तहस-नहस कर देने से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। खेतीबाड़ी बचाने को तमाम गांवों में किसान रात भर खेतों में पहरा भी दे रहे हैं। ऐसे में किसान ने ने तरीके इस्तेमाल कर उपज बचाने की जुगत में जुटे हुए हैं। बेतालघाट ब्लॉक के बारगल, कफूल्टा, जजूला, गरजोली गांव में किसानों ने खेतीबाड़ी को जंगली सूअरों के आंतक से बचाने को नया तरीका ढूंढ़ निकाला है। गांव के आसपास स्थित गधेरो व जल स्रोतो से पाइप के जरिए पानी खेतों के करीब तक पहुंचाया जा रहा है। लगभग एक से दो मीटर की उंचाई से पानी की धार को नीचे रखें गए कनस्तर पर गिराया जा रहा है जिससे निकलने वाली आवाज से जंगली सूअरों का झुंड़ खेतों की ओर रुख नहीं कर रहा है। कनस्तर पर गिरने वाली पानी की धार रात के वक्त खूब आवाज कर रही है वहीं पानी को खेतों के आसपास छोड़ा जा रहा है जिससे कृर्षि भूमि को नमी भी मिल रही है। सुबह के वक्त पाइप हटा दिया जा रहा है शाम ढलने के साथ यह तरीका फिर इस्तेमाल किया जा रहा है। कास्तकार तारा सिंह, देव सिंह, हीरा सिंह, भगवत सिंह रमोला, चंदन सिंह, दलिप सिंह, चंदन रावत के अनुसार कनस्तर पर ऊंचाई से गिरने वाली पानी की धार से निकल रही आवाज से जंगली सूअर खेतो की ओर रुख नहीं कर रहे। ऐसा लग रहा मानो जानवर को खेतो में किसी के होने का आभास हो रहा हो। बताया की यह तरीका बेहद कारगर साबित हो रहा है।