◼️पंचायत प्रतिनिधियों व व्यापारियों के आंदोलित होने के बाद सीएचसी गरमपानी में हुई थी तैनाती

◼️ सप्ताह में दो दिन मरीजों को देखने की बनाई गई थी व्यवस्था
◼️ प्रशिक्षण के लिए गई स्त्री रोग विशेषज्ञ आज तक लौटकर नहीं आई वापस

((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं पटरी से उतरती जा रही हैं। लोगों के आंदोलित होने के बाद उनका मन रखने के लिए कुछ समय के लिए चिकित्सकों को पहाड़ भेज दिया जा रहा है पर कुछ ही समय में फिर मैदान को रवानगी हो जा रही है। कुछ ऐसी ही हालत गरमपानी अस्पताल की भी है। दस माह से पहले अस्पताल भेजी गई रोग स्त्री रोग विशेषज्ञ अब ढूंढे नहीं मिल पा रही है। प्रभारी चिकित्सा अधिकारी के अनुसार स्त्री रोग विशेषज्ञ प्रशिक्षण के लिए गई है। व्यवस्था सुचारु रहे इसके लिए उच्चाधिकारियों को पत्राचार किया गया है ।

स्वास्थ विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने में में पीछे छूट रहा है। बीते वर्ष पंचायत प्रतिनिधि तथा व्यापारियों के आंदोलन के बाद अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ की सप्ताह में दो दिन तैनाती की गई। महिला अस्पताल हल्द्वानी से स्त्री रोग विशेषज्ञ को सीएचसी गरमपानी में मरीजों को सप्ताह में दो दिन मरीजों की जांच का जिम्मा दिया गया। कुछ समय के बाद ही महिला चिकित्सक प्रशिक्षण के लिए चली गई। आलम यह है कि दस माह बीतने के बावजूद चिकित्सक वापस लौट कर नहीं आई है। जिसका खामियाजा गर्भवती महिलाओं को उठाना पड़ रहा है। बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए सुदूर गांवों से अस्पताल पहुंचने वाली महिलाएं मायूस होकर वापस लौट रही हैं। हल्द्वानी, अल्मोड़ा, रानीखेत जाना मजबूरी बन चुका है। लोगों ने स्वास्थ्य विभाग पर उपेक्षा का आरोप लगाया है। चेताया है की जल्द अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं हुई तो फिर दोबारा आंदोलन का बिगुल फूंक दिया जाएगा। प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. सतीश पंत के अनुसार स्त्री रोग विशेषज्ञ के प्रशिक्षण में होने की जानकारी है। अस्पताल में दूसरी स्त्री रोग विशेषज्ञ की तैनाती को उच्चाधिकारियों को पत्राचार किया जा चुका है।