= जान हथेली पर रख आवाजाही को मजबूर गांवो के लोग
= चार महीने से झेल रहा बदहाली का दंश
= जिम्मेदार सो रहे गहरी नींद, नही ले रहे सुध
(((कुबेर सिंह जीना/अंकित सुयाल/मनीष कर्नाटक/महेंद्र कनवाल की रिपोर्ट)))
अक्टूबर के महीने में आई आपदा गहरे निशान छोड़ गई है। जहां गांव में लोग अब तक आपदा का दंश झेल रहे हैं वहीं कोसी नदी पर नावली क्षेत्र में बना झूला पुल बड़े हादसे की ओर इशारा कर रहा है बावजूद जिम्मेदार आंखें मूंदे बैठे हैं। ग्रामीणों ने तत्काल व्यवस्था में सुधार की मांग उठाई है।
नावली क्षेत्र से नौगांव, जनता,बोहरु, वलनी, खुडोली, मंगडोली,जाख, रिकोसा, पजीना, शेर कांडा समेत करीब 12 से ज्यादा गांवों को हाईवे से जोड़ने वाला झूला पुल बदहाल हालत में है कोसी नदी के रौद्र वेग ने पुल के आसपास भारी नुकसान पहुंचाया। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि संबंधित विभाग जल्द मरम्मत का कार्य शुरू करेगा पर जिम्मेदार कुंभकरणीय नींद में है। गांव के लोग इसी झूला पुल के जरिए हाईवे तक पहुंचते हैं पल पुल की बदहाल होने से दुर्घटना का खतरा बढ़ता ही जा रहा है बावजूद कोई सुध लेवा नहीं है। स्थानीय दलीप सिंह, भगवंत सिंह, चंदन सिंह, गोपाल सिंह, दीवान सिंह, रूप सिंह, पूरन सिंह, दान सिंह, पुष्कर सिंह, दयाल सिंह, भगवत सिंह आदि ने तत्काल व्यवस्था में सुधार की मांग उठाई है। चेताया है कि यदि उपेक्षा की गई तो फिर ग्रामीणों को साथ ले आंदोलन का बिगुल फूंक दिया जाएगा।