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विश्व पर्यावरण दिवस पर तीखी नजर की खास रिपोर्ट

दुकानें बंद होने के बाद आया इलेक्ट्रीशियन प्रेम के मन में विचार
लोगों को भा रहा हैं हस्तनिर्मित घोंसला

गरमपानी डेस्क : कोरोना संक्रमण बड़ा और कोरोना कर्फ्यू से दुकान बंद हो गई पर उसने हार नहीं मानी। आपदा को ही अवसर बना दिया। रोजगार का जरिया खुद ही ढूंढ निकाला। प्लाई, गत्ते, पेंट की मदद से चिड़िया का घोंसला तैयार कर डाला। हौसला ऐसा बड़ा कि आप उसने इसे ही रोजगार का जरिया बना डाला है। बकायदा आसपास के गांवों में बिक्री ने रफ्तार पकड़ ली है।

जी हां बात हो रही है बेतालघाट बाजार के व्यापारी प्रेम सिंह की।पेशे से इलेक्ट्रीशियन प्रेम का घर बेतालघाट ब्लॉक मुख्यालय से करीब तीन किमी दूर रोपा गांव के तोक सौपाटा में है। मार्च में कोरोना संकट बडा़ तो कोरोना कर्फ्यू में दुकानें बंद करने के आदेश भी आ गए। ऐसे में प्रेम पर भी बेरोजगारी का संकट बढ़ गया पर उसने हौसला बनाए रखा। घर से ही रोजगार शुरु करने की ठान ली। कुछ अलग करने का मन बनाया फिर क्या था प्लाई पेंट, गत्ते के टुकड़े से चिरैया का घोंसला तैयार कर दिया। फिर क्या था प्रेम का हौसला भी बढ़ गया। एक के बाद एक घोसले तैयार होने लगे। आसपास के लोग घर से ही घोसला खरीदने लगे। वर्तमान में करीब सौ से ज्यादा घोंसले बिक चुके हैं प्रेम मेहनत के साथ घोसलें तैयार करने में जुटे हैं। अभी उनके पास करीब दो सौ से ज्यादा घोसलों का आर्डर है।

चिरैया को भी भा रहे घोसले

हस्तनिर्मित घोसलों की कीमत भी ज्यादा नहीं है। महज दौ तीन सौ रुपये में आसानी से उपलब्ध हो जा रहा है। लोग अपने घर की छत व खिड़की में इसे लगा रहे हैं। साथ ही पानी का कटोरा वह कुछ अनाज भी घोंसले के अंदर रख रहे हैं। लोगों की माने तो चिरैया को भी घोसलें में खूब रह रहे हैं।

लोगों को रोजगार देने की भी योजना

अभी प्रेम से बेतालघाट मुख्य बाजार व आसपास के लोग घोसले खरीद रहे हैं। प्रेम की योजना है कि सब कुछ ठीक रहा और कोरोना की रफ्तार थमी तो उसके बाद इसे अन्य क्षेत्रों में भी भेजा जाएगा। सब कुछ सही रहा तो कुछ लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराया जाएगा।