= घरों में बने विशेष पकवान
= मंदिरों में हुई पूजा अर्चना
(((शेखर दानी/सुनील मेहरा/विरेन्द्र बिष्ट/फिरोज अहमद की रिपोर्ट)))
जी रया, जागि रया,
यो दिन, यो महैण के नित-नित भैटने रया
दुब जस पंगुर जाया, धरती जस चाकव, आकाश जस उच्च है जाया।
स्यूं जस तराण ऐ जो, स्याव
जसि बुद्धि है जो।
हिमालय में ह्यूं छन तक, गंगा में पाणी छन तक, जी रया, जागि रया।
एक दूसरे की उन्नति, समृद्धि और लंबी उम्र की कामना के साथ लोक पर्व हरेला मनाया गया। आज से ही पवित्र सावन मास शुरू होने से इस पर्व की महत्ता भी बढ़ गई है। लोगों ने पूजा अर्चना की और एकदूसरे को हरेला पर्व की शुभकमानाएं दीं। जिसके बाद पौधा रोपण अभियान शुरू गया। छायादार, फलदार पौधे लगाकर धरती को हरा-भरा रखने का संकल्प लिया गया।
धार्मिक आस्था का प्रतीक सावन मास और लोक पर्व हरेला के संगम में लोगों का उत्साह चरम पर है। पूजा अर्चना के बाद लोगों ने अपने घरों के आस-पास पौधे लगाए और घरों में तरह तरह के पकवान तैयार किए गए। प्रशासन की ओर से भी विभिन्न स्थानों पर पौधा रोपण अभियान शुरू कर दिया गया है। वन विभाग के सहयोग से भी पौधा रोपण किया जा रहा है। कोसी व शिप्रा नदी के संगम तट पर स्थित सोमवारी महाराज आश्रम, कैंची धाम, बेतालघाट स्थित शिव मंदिर, शांति देवी मंदिर, सालडी़ देवी, नवदुर्गा, कर्कटेश्वर व गोतेश्वर महादेव मंदिर में भी श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना कर हरेला चढ़ाया।