◾निती नियंताओं को बनानी होगी ठोस निती
◾तेजी से खाली होते जा रहे गांव के गांव
◾शिक्षकों का इंतजार कर रहे नौनिहाल तो चिकित्सक विहीन है अस्पताल
((( ब्यूरो रिपोर्ट गरमपानी)))
पहाड़ में पहाड़ जैसी समस्याएं जड़ होती जा रही है। चिकित्सकों के इंतजार में अस्पताल व शिक्षक विहीन होते विद्यालयो से पलायन का डर बढ़ता जा रहा है। सुविधाओं के अभाव में तेजी से लोग शहरों को रुख कर रहे हैं ऐसे में खूबसूरत व आबोहवा के लिए वरदान माने जाने वाले गांव विरान होते जा रहे हैं। निती नियंताओं को भी गांवों को सुविधाओं से लैस किए जाने की योजना तैयार करने की जरूरत है ताकी पहाड़ के बच्चों को बेहतर शिक्षा व लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें।
पृथक उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से ही पहाड़ में स्वास्थ्य व शिक्षा का मुद्दा जोरशोर से उठा पर आज भी गांवों के विद्यालयों में समुचित शिक्षकों की कमी है। अस्पताल सुविधाओं तथा चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे हैं। दावे व आश्वासन की घुट्टी पिलाई जाती है पर धरातल पर आज भी समस्या जस की तस है। गांवों में स्थित विद्यालय शिक्षक विहीन होते जा रहे हैं। एक शिक्षक के भरोसे ही कई कक्षाएं संचालित की जा रही है। ऐसे में शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्न उठना लाजमी है।स्वास्थ्य सुविधाएं भी राम भरोसे हैं। गांवों के लोग बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए शहरों के चक्कर काट रहे हैं। चिकित्सकों की कमी से लोग परेशान हैं। नव वर्ष पर उम्मीद है की पहाड़ के लिए इस वर्ष कुछ बेहतर हो जाए। देश प्रदेश के निति नियंता गांवों में शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त करने को ठोस निति बनाने में सफल हो जाए ताकी पहाड़ के वासिदों को गांव छोड़ने को मजबूर न होना पड़ें। बहरहाल उम्मीद नव वर्ष पहाड़ के लोगों के लिए नई उम्मीद लेकर आए यही कामना है।