= खेती को नुकसान पहुंचा रहे जंगली खरगोश
= खेतो में पहरा भी दे रहे किसान
= खेती पर मंडरा रहा संकट

(((हरीश कुमार/पंकज भट्ट/हरीश चंद्र/पंकज नेगी की रिपोर्ट)))

कोरोना तथा आपदा में भारी नुकसान उठाने के बाद अब पर्वतीय क्षेत्रों में खेती पर जंगली खरगोश का संकट मंडरा गया है। जंगली खरगोश का झुंड मटर की खेती को चौपट कर रहा है। ग्रामीण साड़ियों की घेरबाड़ कर उपज बचाने की जुगत में जुटे हैं वहीं कड़ाके की ठंड में भी रात्रि के वक्त देर रात तक खेतो में पहरा देने को मजबूर हैं।
बीते दो वर्षो में किसानो को कोरोना ने भारी नुकसान पहुंचाया। उपज खेतो में ही खराब हुई। सब कुछ ठिक होने की उम्मीद ले किसानो ने वापस खेतो को रुख किया तो अक्टूबर में हुई मुसलाधार बारीश ने तबाही मचा दी।बरसाती नालो ने खेत रोखड़ में तब्दील कर दिए। परेशान किसानो ने गुजर बसर के लिए एक बार फिर बचे खेतो में मटर की बुआई शुरु की। उम्मीद थी की सब कुछ ठिक होगा पर अब जंगली खरगोश किसानो के लिए सरदर्द बन चुके है। समीपवर्ती कमान, बचौडी़, बजेडी़, सिमलखा, चापड़, धारी, खैरनी आदि तमाम गांवो में किसान खेतो के चारो ओर साडी़ की खेरबाड़ कर उपज को बचाने में जुटे है। हालात ऐसे है की किसान कडा़के की ठंड में भी खेतो में पहरा देने को मजबूर है। स्थानीय किसानो के अनुसार जंगली खरगोश की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।दलिप बिष्ट, महेंद्र सिंह नेगी, गजेन्द्र सिंह, राजेंद्र सिंह, बालम सिंह आदि किसानो ने शासन प्रशासन से खेतो की सुरक्षा को चाहरदीवारी निर्माण की मांग की है।