= मोटर मार्ग निर्माण के वक्त जद में आए थे आढू के बगीचे व कृषि भूमि
= ग्रामीण उठाते रहे मुआवजे की मांग पर नहीं हुई सुनवाई
= सत्ता पक्ष व विपक्ष के नेता देते रहे आश्वासन
(((पंकज भट्ट की ग्राउंड जीरो रिपोर्ट)))
गांव के किसान मुआवजे की मांग उठाते रहे पर जिम्मेदारों के कानों तक जूं तक नहीं रेंगी। तीन साल बीतने के बावजूद किसानों को आज तक मोटर मार्ग की जद में आए आढू के बगीचे व कृषि भूमि का मुआवजा के नाम पर रत्ती भर कुछ नहीं मिल सका है। हां मुआवजे के नाम पर ढेरों आश्वासन जरूर मिल गए। उपेक्षा से गांव के लोगों में गहरी नाराजगी है।
धारी – उल्गोर – रूपसिंह धूरा मोटर मार्ग निर्माण के दौरान गांव के काश्तकारों की कृषि भूमि के साथ ही आढू के बगीचे भी जद में आए तब सर्वे कर ग्रामीणों को मुआवजा देने की बात सामने आई पर तीन वर्ष बीत जाने के बावजूद आज तक ग्रामीणों को मुआवजा नहीं मिल सका है। ग्रामीणों की माने तो चाहे सत्तापक्ष से जुड़े नेता हो या विपक्ष के हमेशा आश्वासन ही देते रहें पर ठोस पहल कोई भी नहीं कर सका। तीन वर्ष बीतने के बावजूद मुआवजा नहीं मिल सका है। ऐसे में लोगों का पारा चढ़ता ही जा रहा है। स्थानीय ओमप्रकाश पांडे, महेश भट्ट, किशोर पांडे, प्रेम सिंह, पितांबर भट्ट, राजन भट्ट समेत तमाम किसानों की कृषि भूमि व आढू के बगीचे जद में आ गए। समय-समय पर आवाज भी उठाई पर कोई सुनवाई नहीं हो सकी है। थक हार कर अब किसानों ने मुआवजे की उम्मीद ही छोड़ दी है। उपेक्षा पर गहरा गुस्सा है। दो टूक कहा है कि वक्त आने पर जवाब दिया जाएगा।