= बजोल में स्थित उद्यान सचल दल का कार्यालय खस्ताहाल
= पानी ना होने से शौचालय सुविधा का भी नहीं मिल रहा लाभ
= कार्यालय पर निर्भर है तीन हजार से ज्यादा काश्तकार
(((सुनील मेहरा/फिरोज अहमद/विरेन्द्र बिष्ट)))
पर्वतीय क्षेत्र में सरकारी विभागों के हाल भी अजब गजब है। लाखों की कीमत से भवन तो खड़े कर दिए जाते हैं पर उसके बाद रखरखाव के अभाव में भवन लगातार बदहाल हालत में पहुंचकर खस्ताहाल हो जाते हैं बावजूद कोई सुध लेवा नहीं होता। हजारों किसानों का केंद्र बिंदु उद्यान विभाग का कार्यालय खुद की मरम्मत की बाट जो रहा है। विभागीय अधिकारी प्रस्ताव भेजने का दावा कर रहे है पर सरकार है कि सुध लेने को तैयार नहीं।
दरअसल रानीखेत खैरना स्टेट हाईवे पर बाजोल क्षेत्र में उद्यान विभाग का सचल दल केंद्र है। वर्ष 1995 में कृषि विभाग ने इस भवन का निर्माण कराया पर बीते कई वर्षों से उद्यान विभाग इस भवन से ताडी़खेत ब्लॉक के करीब चौबीस गांवों के तीन हजार से ज्यादा कास्तकार को लाभ दे रहा है। उद्यान विभाग के करीब आठ कर्मचारी इस भवन में कार्य करते हैं। हैरान कर देने वाली बात यह है कि भवन में ना तो बिजली है और ना ही पानी। बारिश का पानी भी कई बार भवन के अंदर आ जाता है। पानी न होने से कार्यरत कर्मचारियों को शौचालय सुविधा का भी लाभ नही मिल पाता। जिससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कार्यालय पहुंचने वाले किसानो को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। भवन बाहर से भी बदहाल हालत में पहुंच चुका है। भवन के खस्ताहालत में पहुंच जाने से तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं। सरकारी भवन में बिजली पानी की सुविधा ना होना पर्वतीय क्षेत्रों की उपेक्षा की तस्वीर साफ कर रहा है। तमाम काश्तकारों का कहना है कि कई बार बदहाल हालत में पहुंच चुके कार्यालय में आवाजाही होती है पर हादसे का खतरा भी बना रहता है। किसानो ने भवन को तत्काल दुरुस्त किए जाने की मांग उठाई है।