कोलकाता की मछलियां बढ़ा रही शोभा
विपदा को बनाया अवसर घर पर ही एक्वेरियम निर्माण कर शुरू किया रोजगार
(((शेखर दानी की स्पेशल रिपोर्ट)))
मछलियों का संसार देखना है तो बेतालघाट के अमेल गांव चले आइये। यहां करीब बीस से ज्यादा अलग-अलग किस्म की मछलियों के एक्वेरियम तैयार किए जाते हैं। खास बात यह है कि कोलकाता से आने वाली मछलियां घरों की शोभा बढ़ा रही है। मछलियों के शौकीन भी एक्वेरियम खरीद रहे हैं।
यूं तो जीवनदायिनी कोसी की रोहू व महासीर सुप्रसिद्ध है। पर अब बेतालघाट के अमेल गांव में कोलकाता की मछलियां भी खूब धूम मचा रही है। दिल्ली से लौटे अमेल गांव निवासी हरीश चंद्र पंत ने गांव में रोजगार शुरु कर डाला। वर्तमान में अब करीब पचास से ज्यादा एक्वेरियम बेच दिए गए हैं खास बात की मछलियां तो कोलकाता के काशीपुर तथा डासनगर से आती है पर एक्वेरियम हरीश खुद तैयार करते हैं। रामनगर, काशीपुर व हल्द्वानी से सामग्री इकट्ठा कर गांव में ही एक्वेरियम का निर्माण किया जाता है। वर्तमान में एक हजार से छह हजार रुपये कीमत के एक्वेरियम तैयार किए जाते हैं।
इन प्रजातियों की मछलियां है उपलब्ध
गोल्ड तथा एंजिल फिश, टाइगर व रोजी बार्व, बोसमनी रेनबो, जेब्रा (हरी पीली, नीली, गुलाबी) फाइटर, कार्प गोल्ड, बीडो, रेड कैप, स्वान किंग, पैरेट, चिकलेट, स्केब कैट
दृढ़ इच्छाशक्ति से किया कार्य
शुरुआत में सेंटर स्थापित करने में हालांकि हरीश को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ा पर दृढ़ इच्छा शक्ति के आगे मुश्किलें कम होती चली गई। कोरोना संकट ने भी असर डाला पर मजबूय हौसल हरीश को आगे बढ़ने की ताकत देता। हरीश बताते हैं कि उनका परिवार भी इस काम को करने मैं उनकी मदद करता है।
कई यूनिट स्थापित करने की योजना
मेहनत व लगन से तैयार ऐक्वेरियम की बिक्री अब जोर पकड़ने लगी है। बेतालघाट के साथ ही रामनगर, काशीपुर, भवाली, रानीखेत से भी अब मछली के शौकीन हरीश से संपर्क साधने लगे हैं। हरीश बताते हैं कि यदि सब कुछ ठीक रहा तो आसपास के क्षेत्रों में भी ऐक्वेरियम निर्माण की यूनिट स्थापित की जाएगी।