= बेहतर दाम न मिल पाने से किसान निराश
= ओलावृष्टि से भी उपज को हुआ नुकसान
= उत्पादन भी पचास फीसद गिरा
= सरकारी मदद न मिलने से मायूस है किसान
(((फिरोज अहमद/कमल बधानी/हरीश चंद्र की रिपोर्ट)))
कोरोनाकाल में किसानों की किस्मत भी साथ नहीं दे रही। हमेशा से बेहतर दाम में बिकने वाली रसीली नाशपाती का भाव भी गिर गया है। जिस कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। पहले बीस रुपये किलो तक बिकने वाली नाशपती अब 8 – 10 रुपये किलो तक ही बिक रही है। पहले ओलावृष्टि ने आधे से ज्यादा फसल को नुकसान पहुंचाया है।
बेतालघाट ब्लॉक के फल व सब्जी उत्पादक सिल्टोना तथा दड़माडी गांव के किसान निराश है। कोरोना काल में किसानों की किस्मत उनका साथ ही नहीं दे रही। गांव में काश्मीरी, जागनेर तथा गोला नाशपती की बंपर पैदावार होती है पर पहले ओलावृष्टि ने फसल को नुकसान पहुंचाया और अब बाजार भाव किसानों के लिए सिरदर्द बन गया है। वर्तमान में बड़ी मंडियों को काश्मीरी नाशपाती भेजी जा रही है पहले बीस रुपये किलो तक बिकने वाली काशमिरी कोरोनाकाल में दस रुपये से ऊपर नहीं बिक रही।ऐसे में किसानों को नुकसान हो रहा है। वही उत्पादन भी लगभग पचास फीसद गिर गया है। किसानों की माने तो पहले गांवों में करीब दो हजार कुंतल से ज्यादा नाशपाती का उत्पादन होता था पर अब उत्पादन पचास फीसद भी नहीं रह गया है। किसानों ने सरकारी उपेक्षा ना मिलने पर भी नाराजगी जताई है। किसानों की मानें तो गांव में शिमला मिर्च, बीन, फूल गोभी, हरी मिर्च की उपज भी चौपट हो चुकी है। क्षेत्र पंचायत सदस्य केशव आर्या, राजेंद्र राम, सुरेश चंद्र, केशव राम, मनीष कुमार, ख्याली राम, कैलाश चंद्र, नरी राम आदि ने किसानों को मुआवजा दिए जाने की पुरजोर मांग उठाई है।