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विभागीय अनदेखी, प्रकृति की मार, जंगली जानवरों के आतंक ने चौपट कर दी खेती
कई किसानों ने छोड़ दी आलू की खेती

गरमपानी : नथुवाखान – सुयालबाडी़ मोटर मार्ग पर स्थित छिमी गांव कभी आलू की बंपर पैदावार के लिए जाना जाता था पर विभागीय उपेक्षा, अनदेखी व प्रकृति की मार,जंगली जानवरो के आंतक से अब नाम मात्र ही आलू उत्पादन होता है। आलम यह है की कई किसानो ने तो आलू की बुवाई करना ही छोड़ दी है। खेत बंजर हो चुके है।
सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लाख दावे करे पर धरातल में दावे खोखले साबित हो रहे हैं। सुयालबाडी़ – नथुवाखान मोटर मार्ग पर स्थित छिमी गांव के करीब अस्सी से ज्यादा किसान लगभग दस हेक्टेयर कृषि भूमि में कुछ वर्ष पहले तक आलू की बंपर पैदावार करते थे। किसान बताते हैं कि कभी गांव में करीब छह सौ कुंतल से ज्यादा आलू की पैदावार होती थी जो ट्रकों के माध्यम से हल्द्वानी व बड़ी मंडियों तक पहुंचता था पर अब प्रकृति की मार, विभागीय उपेक्षा, जंगली जानवरों के बड़ते आतंक से सब कुछ चौपट हो चुका है। अब महज बीस कुंतल आलू भी गांव में नहीं होता। कई किसानों ने तो आलू की बुवाई करना तक छोड़ दिया है। गांव में बनी सिंचाई नहर भी ध्वस्त हो चुकी है। कासिमीगाढ़ गधेरे से पानी सिंचाई नहर के माध्यम से खेतो तक पहुंचाया जाता था पर अब नहर भी सूखी पड़ी है। जिस कारण खेत बंजर हो चुके हैं। पूर्व ग्राम प्रधान महेश चंद्र बताते हैं कि कई बार जंगली जानवरों के आतंक से उपज को बचाने के लिए तारबाढ़ की आवाज उठाई गई पर कोई सुनवाई नहीं हुई। खस्ताहाल नहर को भी दुरुस्त करने की गुहार लगाई पर आज तक सुनवाई नहीं हो सकी जिसके चलते अब ग्रामीणों ने थकहार कर आलू की बुवाई कम कर दी है। काश्तकार जगदीश उपाध्याय, राजेंद्र सिंह, कुंदन सिंह छिमवाल, कांति बल्लभ उपाध्याय, नीरज सिंह छिमवाल, भीम सिंह आदि किसानों ने गांव की उपेक्षा किए जाने का भी आरोप लगाया है। किसानों ने सिंचाई नहर को दुरुस्त करने के साथ ही खेतों तक पानी पहुंचाने को सिंचाई पंपिंग योजना का निर्माण किए जाने की भी मांग उठाई है।