= प्रवक्ताओं की कमी से आज तक नहीं हो सकी कक्षाएं संचालित
= विद्यालय के बाहर लगा बोर्ड बना धोखा
= मजबूरी में नौनिहाल नाप रहे पांच किमी की दूरी
(((विरेन्द्र बिष्ट/फिरोज अहमद/पंकज नेगी की रिपोर्ट)))
पहाड़ों में भी हालत अजब गजब है। करीब पांच वर्ष पूर्व विद्यालय के इंटरमीडिएट में उच्चीकृत हो जाने के बावजूद आज तक विद्यालय में इंटरमीडिएट की कक्षाएं संचालित ही नहीं हो सकी। प्रवक्ताओं की कमी के कारण कागजों में ही विद्यालय उच्चीकृत हो पाया। विद्यालय के मुख्य गेट पर लगा बोर्ड धोखा बन चुका है। गांव के नौनिहालों को लाभ नहीं मिल सका। मजबूरी में गांव के नौनिहाल करीब पांच किलोमीटर की दूरी तय कर कुलनाखेत विद्यालय में शिक्षा लेने पहुंचते हैं।
पर्वतीय क्षेत्रों के नौनिहालों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराए जाने के लाख दावे किए जाएं पर धरातल में दावे खोखले साबित हो रहे हैं। अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे से तमाम गांवों को जोड़ने वाले द्वारसौ काकडीघाट मोटर मार्ग पर स्थित देहोली गांव के समीप स्थित विद्यालय इसका जीता जागता उदाहरण बन चुका है। वर्ष 2016 – 17 में गांव में स्थित जूनियर हाईस्कूल को इंटरमीडिएट में उच्चीकृत करने की घोषणा की गई। तमाम दावे किए गए पर धीरे-धीरे दावे हवाई साबित होते चले गए। विद्यालय के मुख्य गेट पर पर लगा बोर्ड भी दावों को खोखला साबित कर रहा है। स्वीकृत किए जाने की घोषणा के पांच वर्ष बाद भी विद्यालय में आज तक कक्षाएं ही संचालित नहीं की जा सकी हैं। प्रवक्ताओं की तैनाती न होने से नौनिहाल मजबूरी में पांच किमी दूर जीआईसी कुलनाखेत में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि विद्यालय के उच्चीकृत होने के बाद पांच पद स्वीकृत हुए जिन्हें नहीं भरा जा सका। ग्रामीणों ने संबंधित विभाग पर उपेक्षा का आरोप भी लगाया है। खंड शिक्षा अधिकारी एसएस बिष्ट के अनुसार प्रवक्ताओं की कमी के कारण कक्षाएं संचालित नहीं हो सकी है प्रवक्ताओं की तैनाती होने के साथ ही जल्द कक्षाएं संचालित की जाएंगी उच्चाधिकारियों को भी पत्राचार किया जा चुका है।