= दूरदराज से पानी ढोने को मजबूर
= आपदा को एक माह बीत जाने के बावजूद नहीं हुई पेयजल आपूर्ति सुचारू

(((हरीश चंद्र/हरीश कुमार/पंकज नेगी/भाष्कर आर्या की रिपोर्ट)))

आपदा को एक माह बीत जाने के बावजूद लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। मजबूरी में दूरदराज से पेयजल व्यवस्था करना मजबूरी बन चुका है। पेयजल व्यवस्था दुरुस्त ना हो पाने पर लोगों का पारा चढ़ते ही जा रहा है। दो टूक चेतावनी दी है कि जल्द व्यवस्था में सुधार न हुआ तो फिर आंदोलन शुरू किया जाएगा।
रानीखेत खैरना स्टेट हाईवे पर भुजान क्षेत्र में पेयजल संकट सिर चढ़कर बोल रहा है। एक महिने से नलों में पानी की बूंद तक नहीं टपक रही। जिससे आमजन परेशान है।करीब तीस से ज्यादा परिवार मजबूरी में दूर-दराज से सिर पर पानी ढोने को मजबूर हैं। कड़ाके की ठंड में लोग पेयजल की व्यवस्था कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि कई बार पेयजल व्यवस्था सुचारू किए जाने की मांग की जा चुकी है पर कोई सुनवाई नहीं हो रही। व्यापारी नेता महिपाल सिंह बिष्ट, वीरेंद्र सिंह बिष्ट,गजेन्द्र नेगी, कैलाश सिंह, वीरेंद्र नेगी आदि लोगों ने तत्काल पेयजल आपूर्ति सुचारू किए जाने की मांग उठाई है। दो टूक चेतावनी दी है कि यदि उपेक्षा की गई तो फिर सड़क पर उतर आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।

जीआइसी के नौनिहाल भी बूंदबूंद पानी को तरसे

आपदा के बाद से पेयजल लाइनों के दुरुस्त ना होने से क्षेत्र में पेयजल संकट बढ़ गया है. खैरना बाजार क्षेत्र में टैंकर से पेयजल आपूर्ति हो रही है तो वहीं जीआइसी खैरना के करीब 270 नौनिहाल,अध्यापक व स्टाफ के कर्मचारी बूंद-बूंद पानी को तरस रहे है। पेयजल संकट के चलते नौनिहाल एक किमी दूर से पानी लाने को मजबूर हैं। मध्यान भोजन के लिए भी दूर दराज से पेयजल व्यवस्था करनी पड़ रही है। अभिभावकों ने तत्काल विद्यालय में पेयजल आपूर्ति दुरुस्त किए जाने की मांग उठाई है। प्रधानाचार्य एमसी बजाज के अनुसार जल संस्थान को पेयजल आपूर्ति दुरुस्त करने के लिए पत्राचार कर दिया गया है।