◼️ क्षेत्रीय जन विकास संघर्ष समिति ने जताई नाराजगी
◼️ शिक्षा विभाग पर गांवो के विद्यालयों की उपेक्षा का लगाया आरोप
◼️ जल्द व्यवस्था में सुधार न होने पर आंदोलन का बिगुल फूंकने की चेतावनी

((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

पर्वतीय क्षेत्रों के गांवों में स्थित विद्यालयों में शिक्षा विभाग का गणित भी अजब-गजब है। कई विद्यालय शिक्षक विहीन हो चुके हैं तो कई विद्यालयों में बेहद कम विद्यार्थियों में अधिक शिक्षक तैनात हैं। क्षेत्रवासियों ने शिक्षा विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया है। जल्द विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती किए जाने की मांग उठाई है। चेतावनी दी है कि यदि उपेक्षा हुई तो फिर शिक्षा विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया जाएगा।
पहाड़ों में शिक्षा व्यवस्था चौपट होने से तेजी से पलायन हो रहा है। अभिभावक नौनिहालों को शिक्षा दिलाने के लिए दूरदराज रुख करने को मजबूर है बावजूद शिक्षा विभाग सुध नहीं ले रहा। हल्सों कोरण गांव में ग्रामीणो के शिक्षा विभाग के खिलाफ सड़क में उतरने के बाद अब अन्य गांवो में भी लोग आक्रोशित होने लगे हैं। ब्लॉक के जाख गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय में 35 छात्र संख्या होने के बावजूद महज एक शिक्षक की तैनाती है जबकि समीपवर्ती चौरसा गांव स्थित जूनियर हाई स्कूल में महज चार छात्र संख्या होने के बाद तीन शिक्षकों की तैनाती की गई है। क्षेत्रीय जन विकास संघर्ष समिति के विरेंद्र बिष्ट, गजेंद्र नेगी, कुबेर सिंह, राजेंद्र सिंह, महिपाल सिंह बिष्ट, पूरन लाल साह, हरीश चंद्र, पंकज नेगी, पंकज भट्ट, हरीश कुमार आदि लोगों ने शिक्षा विभाग पर गांवों में स्थित विद्यालयों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। कहा की सुदूर गांवों में शिक्षकों को नहीं भेजा जा रहा जबकि तैनाती सुगम क्षेत्र में कर दी जा रही है इससे गांवों में पढ़ने वाले नौनिहालों के भविष्य से भी खिलवाड़ हो रहा है। शिक्षा विभाग के खिलाफ मोर्चा खोलने की चेतावनी भी दी है।