= जान हथेली पर रख आवाजाही को मजबूर शहरवासी
= जिम्मेदार कुंभकरणीय नीद में सुधलेवा कोई नही
= क्या बडी़ घटना के इंतजार में है जिम्मेदार

(((हल्द्वानी से संजय चौधरी की रिपोर्ट)))

हल्द्वानी शहर के हालत बद से बदतर है। सुविधाओं के खूब ढोल पीटे जाते है पर और सुविधाएं तो छोडिए शहरवासियों के लिए पैदल चलने को रास्ता तक नही है। शहरवासी जान जोखिम में डाल पैदल आवाजाही को मजबूर है। हालात ऐसे है की तमाम जगह फुटपाथ पर दुकाने के काउंटर लगे है तो मुख्य सड़क पर दुकानो के बोर्ड लग चुके है। स्कूली नौनिहालों के आगे भी पैदल आवाजाही बडा़ संकट है। शहरभर के फुटपाथों पर अतिक्रमण भारी है पर जिम्मेदार आंखे मूंदे बैठे है। रहरह कर सवाल उठ रहा है की आखिरकार प्रशासन फुटपाथों को कब्जा मुक्त करने से मुंह क्यो मोड़ रहा है।आखिरकार किसके दबाव में फुटपाथो को पैदल आवाजाही करने वाले लोगो के लिए खाली क्यों नही कराया जा रहा। आखिरकार क्यों लोगो की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है।शहर की तमाम सड़को पर फुटपाथो का यहीं हाल है।शहर के वासिंदो का कहना है की सड़क पर चलने में तेज रफ्तार वाहनो से हादसे का खतरा बना रहता है। कभी भी बडा़ हादसा हो सकता है।