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= वर्षों पूर्व बने भवन जर्जर हालत में पहुंचे
= कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा, मरम्मत तक नहीं

(((विरेन्द्र बिष्ट/फिरोज अहमद/सुनील मेहरा)))

धरती के भगवान कहे जाने वाले चिकित्सक जीरो ग्राउंड पर उतर कोरोना से जंग लड़ रहे हैं पर हालात बद से बदतर है। रहने तक को ठौर ठिकाना ठीक नहीं है हालात ऐसे हैं कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए बने आवास ही चिकित्सकों के लिए ठिकाना बन गए है।। पैरामेडिकल स्टाफ भी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए बने आवास में रहने को मजबूर है। ऐसे में धरती के भगवान को दो तरफा जंग लड़नी पड़ रही है।
खैरना का अस्पताल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र था। सुविधाएं बढ़ी तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कहलाने लगा। अस्पताल के समीप की आवासीय भवन भी तैयार कर दिए गए पर हालात ठीक नहीं है। वर्षों पुराने भवन जर्जर हालत में पहुंच चुके हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्टाफ के हिसाब से तैयार किए गए भवन अब बदहाली का दंश झेल रहे। हैं वहीं अब स्टाफ में भी बढ़ोतरी हो चुकी है। सीएचसी में करीब सात चिकित्सक मुस्तैद है वहीं करीब नौ पैरामेडिकल स्टाफ भी है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी तैनात है पर मजबूरी में चिकित्सकों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के लिए बने भवनों में रात गुजारनी पड़ रही है। पैरामेडिकल स्टाफ के भी रहने के लिए समुचित भवन नहीं बने हैं ऐसे में चिकित्सक कैसे डूयूटी दे रहे हैं यह बड़ा सवाल है।