◾ बेतालघाट के तमाम गांवों के किसानों का खेती बाड़ी से होता जा रहा मोहभंग
◾कभी गांवों में होती थी बंपर पैदावार आज बाजार पर निर्भर हुए काश्तकार
◾ पिछले दो वर्षों से खेतों तक पानी पहुंचाने वाली नहर भी सुखी

((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

मौसम की बेरुखी व विभागीय अधिकारियों की अनदेखी पहाड़ के धरतीपुत्रों पर भारी पड़ने लगी है। बेतालघाट ब्लॉक के तमाम गांवों में काश्तकार परेशान हैं। हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि कभी अनाज व सब्जियों की बंपर पैदावार करने वाले गांव के वाशिंदे आज बाजार पर निर्भर हो चुके हैं। ग्रामीणों ने उचित मुआवजा दिए जाने की मांग उठाई है।
बेतालघाट ब्लॉक के टंगयूडा बड़ा, आमबाडी़, तिवारीगांव समेत तमाम गांवो में कभी गेहूं, धान, गोभी, टमाटर , आलू की समेत तमाम सब्जियों की बंपर पैदावार होती थी पर पिछले दो वर्षों से हालात विकट है। गांव के काश्तकार परेशान हो चुके हैं। इस वर्ष भी उत्पादन ना के बराबर है। गांवों में गेहूं की उपज सूखने के कगार पर पहुंच चुकी हैं। वहीं पानी ना होने से कई लोगों ने गेहूं की बुवाई ही नहीं कि। गांवो में रतोड़ा नहर से पानी की आपूर्ति की जाती थी पर पिछले दो वर्षों से नहर के क्षतिग्रस्त होने से खेतों तक पानी नहीं पहुंच रहा ऐसे में फसलें प्रभावित होती जा रही हैं। स्थानीय दान सिंह, पूर्णानंद, मीना बिष्ट, हीरा देवी, कमला देवी, विजय खडूरी आदि के अनुसार समय पर बारिश नहीं हो रही वहीं दूसरी ओर नहर खस्ताहाल पड़ी है जिस कारण अब खेती-बाड़ी से मोहभंग होता जा रहा है। बताया कि पिछले दो वर्षों से लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है। हालात इस कदर खराब हो चुकी है कि सब्जियों व अनाज के लिए बाजार पर निर्भर होना पड़ रहा है। जबकि पहले गांवों में ही समुचित पैदावार होती थी। ग्रामीणों ने नुकसान का उचित मुआवजा दिए जाने की मांग की है।