= गोवंश पशु चट कर रहे उपज किसानों ने खेती छोड़ी
= बीस हेक्टेयर से अधिक भुमि हो गई बंजर
(((शेखर दानी/कमल बधानी की रिपोर्ट)))
बेतालघाट ब्लॉक के कोसी नदी किनारे की जो भूमि कभी सोना उगलती थी आज वह बंजर हो चुकी है। जहां कभी गेहूं, धान, सब्जी, दाल आदि की बंपर पैदावार होती थी आज वहां कुरी की बड़ी बड़ी झाड़ियां उग चुकी है किसानो ने अब उक्त भूमि पर खेती करना ही छोड़ दिया है। करीब चार सौ से ज्यादा काश्तकारों की बीस हेक्टेयर से ज्यादा भूमि बंजर हो चुकी है।
बात हो रही है बेतालघाट ब्लॉक के सिमलखा गांव के करीब चार सौ से ज्यादा काश्तकारों की। बीस हेक्टेयर से ज्यादा कृर्षि भूमि वर्ष 2010 में उफनाई कोसी नदी की भेंट चढ़ गई। जैसे-तैसे किसानों ने दोबारा खेतों को दुरुस्त कर खेती शुरु की। हाड़ तोड़ मेहनत के बाद उपज की बुआई शुरु कर दी गई। पर धीरे-धीरे किसानों के आगे विकट समस्या खड़ी हो गई। कोसी नदी पार के ही गांव से छोड़े जाने वाले गोवंशीय पशु खेती चौपट कर दे रहे हैं। आलम यह है कि अब किसानों का नदी किनारे कास्तकारी से मोहभंग हो चुका है। कुछ किसान जो हाड़तोड़ मेहनत के बाद बेहतर उपज की उम्मीद लगाते भी हैं तब भी उन्हें मायूसी ही हाथ लगती है।