=आईआईटी रुड़की से पहुंचे विशेषज्ञ ने भी जानी रणनीति
= नैनीताल व आसपास के क्षेत्रों में बढेरी बैराज से आपूर्ति को शुरू हुई कसरत
= कोसी नदी पर छह सौ करोड़ रुपये की लागत से प्रस्तावित है बैराज
= पेयजल आपूर्ति के रूट को तलाशे गए विकल्प

(((शेखर दानी/विरेन्द्र बिष्ट/सुनील मेहरा की रिपोर्ट)))

कोसी नदी पर बहुप्रतीक्षित बढेरी बैराज से पानी की आपूर्ति को रोड मैप की कसरत तेज हो गई है। आइआइटी रुड़की के विशेषज्ञ के साथ ही रानीखेत व नैनीताल के अफसरों की टीम ने बैराज का निरीक्षण कर विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की। पेयजल आपूर्ति को रूट का सर्वे भी किया। विभागीय अधिकारियों ने दावा किया कि जल्द ही डेढ़ किलोमीटर दायरे में बनने वाले बैराज को मूर्त रूप दिया जाएगा।

आईआईटी रुड़की से पहुंचे विशेषज्ञ

गुरुवार को आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर एमएल कंसल ने नैनीताल तथा रानीखेत के जल निगम, सिंचाई वाहन विभाग तथा जल संस्थान के अधिकारियों के साथ बढेरी बैराज निर्माण स्थल पहुंच नैनीताल जिला मुख्यालय व रानीखेत के गांवों को पानी पहुंचाने के लिए बिछाई जाने वाली लाइन के लिए सर्वे पर चर्चा की। विभागीय अधिकारियों ने नैनीताल जाने वाली लाइन को कम से कम नेशनल हाईवे के रास्ते ले जाने की बात कही ।छह सौ करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले बैराज स्थल का भी निरीक्षण कर फिडबैक लिया। आईटी रुड़की से पहुंचे प्रोफेसर एमएल कंसल ने विभागीय अधिकारियों को विभिन्न दिशा निर्देश भी दिए। इस दौरान मुख्य अभियंता जल निगम वीके पंत, अधीक्षण अभियंता गंभीर सिंह तोमर, अधिशासी अभियंता जल निगम रानीखेत आरके वर्मा, अपर सहायक अभियंता पंकज आर्या, प्रियंका कुंजवाल आदि मौजूद रहे।

बैराज के आसपास बढ़ेंगी पर्यटन गतिविधि, रोजगार भी मिलेगा

बैराज निर्माण में लगने वाले 600 करोड रुपये की लागत से 20 मीटर ऊंचाई तथा डेढ़ किमी लंबे बैराज निर्माण में 200 करोड़ रुपये खर्च होगा। शेष धनराशि पानी को नैनीताल मुख्यालय व रानीखेत के गांवों में पहुंचाने में खर्च होगी। इसेसे बेतालघाट तथा ताडी़खेत ब्लॉक के तमाम गांव को रोजाना करीब 60 एमएलडी पानी की आपूर्ति हो सकेगी। बैराज बन जाने के बाद पर्यटन गतिविधियों को भी पंख लग सकेंगे। विभागीय अधिकारियों का दावा है कि बैराज के आसपास नौकायन समेत अन्य पर्यटन गतिविधि बढ़ाने संबंधी कार्य किए जाएंगे। जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा वही मोटर मार्ग का एलाइनमेंट भी बदला जाएगा।