= जान जोखिम में डाल लोग कर रहे आवाजाही
= आजादी के बाद भी खस्ताहाल सड़कों पर आवाजाही बनी नियति

(((पंकज भट्ट/फिरोज अहमद/हरीश कुमार की रिपोर्ट))

स्वतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर गांव की लाइफ लाइन कही जाने वाली सड़कों की बदहाल तस्वीर एक बार फिर सामने आ गई। बड़े-बड़े दावा करने वाली सरकार व उसके नुमाइंदों के दावे धरातल में खोखले साबित हो रहे हैं। आजादी के बाद भी लोग खस्ताहाल मोटर मार्गों पर आवाजाही को मजबूर है।
जी हां बेतालघाट ब्लॉक की तमाम गांवों को जोड़ने वाली सड़कें बद से बदतर हालत में पहुंच चुकी है। बावजूद कोई सुध लेवा ही नहीं है। ग्रामीण जान जोखिम में डाल आवाजाही को मजबूर हैं। आजादी तो मिल गई सड़कें भी बनी पर सड़कों की ओर ध्यान न देने से मोटर मार्ग खस्ताहाल होते चले जा रहे हैं जिस कारण लोग आवाजाही में दिक्कतों का सामना करने को मजबूर हैं। गांव के लोग आवाज उठाते उठाते थक चुके हैं पर कोई सुनवाई ही नहीं हो रही। गांव को तमाम सड़क निर्माण किए जा रहे हैं पर पुरानी सड़कें बदहाल हालत में है जिनका सुध लेवा कोई नहीं है। कई गांव में तो लाखों खर्च होने के बावजूद गांव को सड़क सुविधा ही नहीं मिल सकी। आजादी के बाद भी गांव की सड़कों की हालत किसी से छुपी नहीं है गांव के लोग आज भी सड़क पर आवाजाही तो कर रहे हैं पर जान जोखिम में डाल। उम्मीद है कि भविष्य में सड़कों के हालात सुधरेंगे।