= जल स्रोतों को बचाने तथा पूर्व में बनी पेयजल योजनाओं को दुरुस्त किए जाने की उठी मांग
= देखरेख के अभाव में खस्ताहाल है योजनाएं


(((हरीश चंद्र/पंकज नेगी की रिपोर्ट))) तीखी नज़र

गांवों में वर्षों पूर्व बनी पेयजल योजनाओं को दुरुस्त करने के साथ ही प्राकृतिक जल स्रोतों को संरक्षित किए जाने के लिए ठोस उपाय किए जाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। लोगों का कहना है कि प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षित होने के बाद ही लाखों करोड़ों रुपए की लागत से गांव-गांव तैयार की जा रही हर घर नल से जल योजना का लाभ गांवों के लोग मिल सकेगा।
बेतालघाट व ताडी़खेत ब्लॉक से सटे तमाम गांवों में लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। वर्षों पूर्व बनी पेयजल योजनाएं खस्ताहाल हो चुकी है। कई जगह क्षतिग्रस्त हैं। वही प्राकृतिक जल स्रोत भी सूखने के कगार पर पहुंच चुके हैं। ऐसे में ग्रामीणों को समुचित पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही। बूंदबूंद पानी को तरस रहे ग्रामीण कई किलोमीटर दूर से सिर पर पानी ढोने को मजबूर हैं। केंद्र व राज्य सरकार हर घर नल से जल योजना से पानी की आपूर्ति का दावा कर रही है पर बड़ा सवाल उठ रहा है कि जब प्राकृतिक जल ही सूखने के कगार पर पहुंच चुके हैं तो ऐसे में पानी की आपूर्ति कैसे हो सकेगी। लोगो ने वर्षों पूर्व बनी योजनाओं को दुरुस्त किए जाने तथा प्राकृतिक जल स्रोतों को संरक्षित किए जाने की मांग उठाई है कहा कि जब प्राकृतिक जलस्रोत संरक्षित होंगे तभी अन्य सभी योजनाओं से पानी की आपूर्ति गांवों को हो सकेगी। विशेषज्ञों की देखरेख में गांवों के लोगों को प्राकृतिक जल स्रोत को संरक्षित किए जाने की जिम्मेदारी सौंपने की मांग उठाई गई है।