= जीआइसी खैरना में गुरुजनों की कमी से दूसरे विद्यालयों को करना पड़ रहा नौनिहालो को रुख
= स्थाई प्रधानाचार्य के साथ ही चार प्रवक्ता व तीन एलटी पद पर शिक्षकों के पद रिक्त
= लगातार घट रही छात्र संख्या अभिभावकों में रोष
(((विरेन्द्र बिष्ट/फिरोज अहमद/सुनील मेहरा/भीम बिष्ट की रिपोर्ट)))
पर्वतीय क्षेत्रों के नौनिहालों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराए जाने के लाख दावे किए जाएं पर धरातल में दावे खोखले साबित हो रहे हैं। कभी उत्तराखंड राज्य को टॉपर देने वाला राजकीय इंटर कॉलेज खैरना आज अध्यापकों की कमी से जूझ रहा है हालत यह है कि प्रवक्ताओं व अन्य शिक्षकों की कमी से अब अभिभावक नौनिहालों को अन्य स्कूलों में भेजने को मजबूर हैं पूर्व की अपेक्षा विद्यालय में छात्र संख्या आधी आधी रह गई है। पूर्व कैबिनेट मंत्री से केंद्रीय राज्यमंत्री तक गुहार लगाए जाने के बावजूद विद्यालय को शिक्षक नसीब नहीं हो रहे।
कभी प्रदेश भर में जीआइसी खैरना का डंका बजता था। यहां के छात्र अर्जुन सिंह ने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा में पहले पायदान पर जगह बना पूरे प्रदेश में विद्यालय का परचम फहराया उसके बाद भी कई नौनिहाल वरीयता सूची में स्थान बनाने में सफल रहे पर अब विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। विद्यालय में रसायन विज्ञान, अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान तथा समाजशास्त्र के प्रवक्ताओ के पद वर्षो से रिक्त पड़े हैं जबकि एलटी के तीन शिक्षको के पद भी रिक्त हैं जिसके चलते अभिभावक बच्चों को दूसरे विद्यालय में एडमिशन कराने को मजबूर है। कभी विद्यालय में चार सौ से ज्यादा विद्यार्थी अध्ययनरत थे जबकि वर्तमान में महज 227 नौनिहाल ही विद्यालय में शिक्षा ले रहे हैं हालात इतने विकट है कि वर्षों से स्थाई प्रधानाचार्य का पद भी रिक्त है। जैसे तैसे कार्य चलाया जा रहा है। हालांकि विद्यालय को कभी आदर्श तो कभी मॉडल विद्यालय का दर्जा प्राप्त होता है पर विद्यालय के हालात इन सबसे जुदा है। पूर्व ग्राम प्रधान पूरन लाल साह के अनुसार कई बार आवाज उठाए जाने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही। गुरुजनों के अभाव में नौनिहालों का भविष्य अंधकार में बना हुआ है।
चार प्रवक्ता तथा तीन एलटी के अध्यापक के पद रिक्त हैं। समय-समय पर शिक्षको की तैनाती को उच्चाधिकारियों को पत्राचार भी किया जाता है। जैसे तैसे कार्य चलाया जा रहा है। विद्यालय में शिक्षकों की तैनाती के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
– एमसी बजाज, प्रभारी प्रधानाचार्य, जीआइसी खैरना।
गुरुजनों की तैनाती के लिए पूर्व में कैबिनेट मंत्री रहे यशपाल आर्या तथा केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट को भी ज्ञापन दिए गए हैं वही उच्चाधिकारियों को भी लगातार संपर्क कर दिक्कत बताई जाती है पर कोई सुनवाई नहीं हो रही। गुरुजनों की कमी से छात्र संख्या घटना लाजमी है।
– राकेश जलाल, अध्यक्ष, शिक्षक अभिभावक संघ, जीआइसी खैरना।