= लगातार नुकसान झेल रहे काश्तकार
= नुकसान से अब खेती से हो रहा मोहभंग
(((विरेन्द्र बिष्ट/फिरोज अहमद/अंकित सुयाल)))
लगातार नुकसान झेल रहे किसानों को मुआवजा दिए जाने की पुरजोर मांग उठने लगी है। ग्रामीणों का कहना है कि लॉकडाउन के बाद से ही किसान लगातार नुकसान झेल रहे है पर किसानों की सुध लेवा कोई नहीं है।
कोरोना संक्रमण से बचाव को लॉकडाउन के बाद से ही किसान लगातार नुकसान पर नुकसान उठा रहे हैं समय रहते बारिश ना होने पर कई उपज की बुवाई ही नहीं हो सकी तो फिर बाद में हुई मूसलाधार बारिश ने खेतों में फसल को बर्बाद कर दिया। ऐसे में बैंकों से ऋण लेकर काश्तकारी कर रहे किसानों को दो तरफामार झेलनी पड़ी। खेती से लगातार नुकसान से किसानों का मन भी खेती किसानी से उठने लगा है। किसान कर्जदार होते जा रहे हैं। महंगे बीज खरीदने के बावजूद जंगली जंगली जानवर उपज को चौपट कर रहे हैं। ऐसे में किसान परेशान हैं। लोगों ने किसानों को उचित मुआवजा दिए जाने की पुरजोर मांग उठाई है। कहा कि यह धरतीपुत्रों की उपेक्षा की गई तो भविष्य में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। मुआवजा दे नुकसान की भरपाई की मांग उठाई गई है।