= चारदीवारी का कार्य अंतिम चरण में पहुंचा
= कोसी नदी के समीप पर्यटन गतिविधि में होगा इजाफा
= हेरिटेज का रूप ले रही जसूली देवी धर्मशाला
(((कुबेर जीना/अंकित सुयाल/मनीष कर्नाटक की रिपोर्ट)))
खीनापानी क्षेत्र में स्थित जसूली देवी धर्मशाला हेरिटेज का रुप लेने लगी है इसके लिए निर्माण कार्य तेज हो गया है। खास बात यह है कि इसे पूर्व की तरह पाथर से धर्मशाला को अंतिम रूप दिया जा रहा है वहीं चारदीवारी का कार्य भी तेज हो गया है कोसी नदी के समीप विभिन्न गतिविधियों के साथ-साथ पार्क निर्माण की भी योजना है धर्मशाला के समीप ही जसूली देवी की प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी।
खीनापानी क्षेत्र में पिथौरागढ़ के दारमा घाटी के दांतू गांव निवासी शौका समाज की दानवीर जसूली देवी की निर्मित दो धर्मशाला है। कुछ महीने पहले कुमाऊं आयुक्त रहे अरविंद सिंह हंयाकी ने दोनो धर्मशालाओं का निरीक्षण कर करीब 34 लाख रुपये से मरम्मत के दिशा निर्देश दिए थे तब से धर्मशाला को हेरिटेज का रूप दिए जाने का कार्य शुरु हो गया। धर्मशाला के समीप पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए पार्क का निर्माण भी किया जाना है वहीं समीप ही दानवीर जसूली देवी की प्रतिमा लगाए जाने की भी योजना है। स्थानीय कुबेर सिंह जीना, मदन सुयाल, चंदन सिंह, मनमोहन सिंह आदि लोगों के अनुसार धर्मशाला के दुरुस्त हो जाने के बाद क्षेत्र में पर्यटन गतिविधि बढेगी साथ ही पर्यटन व्यवसाय को भी बढ़ावा मिलेगा। रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
दारमा घाटी से हल्द्वानी तक बनाई थी धर्मशालाएं
धर्मशाला का निर्माण जसुली शौक्याणी ने कराया था। पिथौरागढ़ की दारमा घाटी के दांतू गांव की रहने वाली थी। बड़े व्यापारी घराने से ताल्लुक रखती थी। तिब्बत, नेपाल आदि जगहों से उनका व्यापार था। पति की मृत्यु के बाद उनके इकलौते पुत्र की भी असमय मृत्यु हो गई और हताशा ने उन्हें इस तरह घेरा की सारा चांदी सोना अशर्फियाँ खच्चरों पर लाद वह नदी में बहा देने का निर्णय ले चुकी थी। बताते है कि जनरल रैमज़े उस समय उसी इलाक़े में कैम्प कर रहे थे। उन्होंने शौक्याणी को उनके गांव दांतू जाकर समझाया कि यदि वह इस सम्पत्ति को जनसेवा में लगाए। जसुली देवी ने 170 वर्ष पूर्व दारमा घाटी से हल्द्वानी भोटिया पड़ाव तक सैकड़ों धर्मशालाओं का निर्माण कराया।