= प्रदेश भर में 11हजार आशा कार्यकर्ता बिगाड़ सकती हैं प्रत्याशियों का गणित
= वादाखिलाफी से आशाओ में है नाराजगी
= प्रदेश अध्यक्ष बोली – नोटा ही है एकमात्र विकल्प

(((टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

वादाखिलाफी से नाराज आशा कार्यकर्ताओं का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा। प्रोत्साहन राशि दिए जाने का आश्वासन मिलने के बावजूद प्रोत्साहन राशि न दिए जाने से आशा कार्यकर्ता नाराज हैं। उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल ने स्पष्ट किया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में प्रदेश भर की 11हजार आशा कार्यकर्ता नोटा का विकल्प चुन उपेक्षा का जवाब देंगी।
दरअसल बीते अगस्त में उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर यूनियन के बैनर तले प्रदेश भर में आशा कार्यकर्ताओं ने विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन चलाया। कार्य बहिष्कार के साथ ही जगह-जगह चिकित्सालयो में धरना प्रदर्शन किया गया। आशाओं का पारा चढ़ते देख सरकार बैकफुट में आ गई। देहरादून में वार्ता के बाद आशा कार्यकर्ताओं को बढ़ी हुई प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की गई तब संगठन ने आंदोलन समाप्त किया पर अब पांच माह बीतने के बावजूद आशाओं को प्रोत्साहन राशि नहीं मिल सकी है जिससे आशाओं का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया है। उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल ने वादाखिलाफी का आरोप लगाया है कहा की प्रोत्साहन राशि का भुगतान ना कर आशाओं को ठगा गया है। संगठन की प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश भर में संगठन की 11 हजार आशा कार्यकर्ता हैं जिनके साथ विश्वासघात हुआ है कहा कि जनहीत में कोविड डूयूटीके साथ ही पल्स पोलियो अभियान समेत सभी कार्य पूरी तत्परता व मनोयोग से किए जाएंगे पर आगामी विधानसभा चुनाव में नोटा का विकल्प चुनकर जवाब दिया जाएगा बकायदा इसके लिए संगठन से जुड़ी सभी आशाओं को पत्र भी जारी किए जाएंगे। बहरहाल यदि आशा कार्यकर्ता नोटा का विकल्प चुनती है तो राजनैतिक पार्टियों का गणित भी बिगड़ सकता है।